अयोध्या में बाबरी मस्जिद की जमीन के मालिकाना हक को लेकर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की तारीख और पांच जजों की बेंच तय कर दी है. इस मामले की सुनवाई 26 फरवरी को होगी, जिसे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोवडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अब्दुल नजीर की बेंच सुनेगी.
ध्यान रहे पहले इस मामले की सुनवाई 29 जनवरी को होने वाली थी लेकिन पांच जजों की संवैधानिक पीठ में शामिल जस्टिस बोबडे जनवरी से छुट्टी पर थे. इस कारण 29 जनवरी को होने वाली सुनवाई नहीं हो पाई थी. पीठ अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर बराबर बांटने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई करेगी.
उधर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा था कि अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद परिसर के विवादित स्थल सहित 67.703 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने संबंधी 1993 के केंद्रीय कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली नई याचिका पर इस संबंध में पहले से ही लंबित मामले के साथ विचार किया जाएगा.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इस मुद्दे को लेकर नई याचिका को मुख्य याचिका के साथ ही संलग्न करने का आदेश दिया. पीठ ने कहा कि इस याचिका को उसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए जो इस मसले पर पहले से विचार कर रही है.
Ayodhya case: Supreme Court to hear the case on February 26, as Justice SA Bobde who is a part of five-judge Constitution bench, returned from leave. pic.twitter.com/AjrsQq5n6w
— ANI (@ANI) February 20, 2019
यह याचिका लखनऊ के दो वकीलों सहित 7 व्यक्तियों ने दायर की है. याचिका में स्वयं को राम लला के भक्त होने का दावा करने वाले याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि राज्य की भूमि का अधिग्रहण करने के लिए कानून बनाने में संसद सक्षम नहीं है. याचिका में कहा गया है कि वैसे भी सिर्फ राज्य सरकार को ही अपने प्रदेश के भीतर धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन से संबंधित मामलों के लिये प्रावधान करने का अधिकार है. वकील शिशिर चतुर्वेदी और संजय मिश्रा तथा अन्य ने याचिका में कहा था कि अयोध्या के कतिपय क्षेत्रों का अधिग्रहण कानून, 1993 संविधान के अनुच्छेद 25 में प्रदत्त हिन्दुओं के धार्मिक अधिकारों और उनके संरक्षण का अतिक्रमण है.
इस याचिका से एक सप्ताह पहले 29 जनवरी को केंद्र ने एक याचिका दायर करके सुप्रीम कोर्ट से उसके 2003 के फैसले में सुधार करने और अयोध्या में विवादित ढांचे के आसपास की गैर विवादित 67 एकड़ भूमि उनके असली मालिकों को लौटाने की अनुमति देने का अनुरोध किया था.