UAPA कानून के तहत गिरफ्तार जामिया की छात्रा सफूरा जरगर की जमानत याचिका पर सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में सुनवाई हुई। सफूरा की अर्जी का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि आरोपी गर्भवती होने मात्र से जमानत की हकदार नहीं हो सकती हैं।
पुलिस ने दलील दी कि पिछले 10 वर्षों में तिहाड़ जेल में 39 महिला कैदियों की डिलीवरी हो चुकी है। ऐसे में सफूरा जरगर का मामला खास नहीं है। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। इस दौरान दिल्ली पुलिस को रिप्रेजेंट करने के मामले में दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी के बीच तीखी बहस भी देखने को मिली।
राहुल मेहरा ने सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट से कहा कि मामले में जो स्टेटस रिपोर्ट दिल्ली पुलिस की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने दायर किया है वो सही तरीका नहीं है। स्टेटस रिपोर्ट दिल्ली सरकार के जरिये कोर्ट में दायर होती है सॉलिसिटर जनरल और अडिशनल सॉलिसिटर जनरल के पास कोई लिखित एप्लीकेशन नहीं है कि वो इस मामले में दिल्ली पुलिस को रिप्रेजेंट करे।
हाई कोर्ट ने राहुल मेहरा जो दिल्ली सरकार के वकील हैं, उनको कल मामले में पेश होने को कहा है। हाई कोर्ट ने फिलहाल मंगलवार तक मामले को टाल दिया है। बता दें कि सफूरा को CAA विरोध के दौरान गिरफ्तार किया गया था। उनको दिल्ली हिंसा मामले में बहुत ही सख्त प्रावधान वाले UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस का आरोप है कि जामिया समन्वय समिति के सदस्य सफूरा जरगर ने भीड़ को उकसाने के लिए कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिया था। इसके कारण संशोधित नागरिकता अधिनियम के विरोध में फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा भड़की थी।