जम्मू-कश्मीर में हिजबूल के दो आतंकवादियों के साथ गिरफ्तार हुए डीएसपी देविंदर सिंह को लेकर लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरएसएस पर हमला बोला है। उन्होने कहा कि आतंकियों के साथ डीएसपी देवेंदर सिंह की जगह कोई मुसलमान अफसर होता तो आरएसएस इस पर बवाल काट देता।
चौधरी ने देविंदर सिंह को लेकर कहा, ‘अगर इत्तेफाक से देविंदर सिंह का नाम देविंदर खान होता तो आरएसएस की ट्रोल रेजीमेंट की प्रतिक्रिया ज्यादा तीखी और मुखर होती। वर्ण, मत और संप्रदाय से इतर देश के दुश्मनों की निंदा होनी चाहिए। घाटी में इस कमजोरी का खुलासा हुआ है वो हमें परेशान करने वाली है। अब सवाल यह पैदा होता है कि पुलवामा हमले के पीछे के असली गुनाहगार कौन हैं? इस मामले पर नए सिरे से जांच की जरूरत है।’
Had #DavindarSingh by default been Davindar khan ,the reaction of troll regiment of RSS would have been more strident and vociferous. Enemies of our country ought to be condemned irrespective of Colour, Creed, and Religion.
(1/3)— Adhir Chowdhury (@adhirrcinc) January 14, 2020
इसी बीच जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा, ‘यह स्पष्ट किया जा रहा है कि डीएसपी देविंदर सिंह को गृह मंत्रालय की ओर से वीरता या मेधावी पदक नहीं दिया गया है जैसा कि कुछ मीडिया संस्थान लिख रहे हैं। यह पूरी तरह गलत है। देविंदर सिंह को 2018 में पूर्व की जम्मू-कश्मीर राज्य की सरकार ने वीरता पदक दिया था।’
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने लिखा, ‘देविंदर सिंह जम्मू-कश्मीर राज्य सरकार ने पुलवामा जिले में 25/26 अगस्त 2017 में हुए फिदायीन हमले के काउंटर अभियान में हिस्सा लेने के लिए सम्मानित किया था। उस वक्त देविंदर पुलिस लाइंस में डीएसपी थे।’ जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मीडिया को तथ्यों से परे काल्पनिक स्टोरी न लिखने की सलाह दी।
It is to clarify that
Dysp Davinder Singh is not awarded any Gallantry or Meritorious Medal by MHA as has been reported by some media outlets/persons Only gallantry medal awarded to him during his service is by the erstwhile J&K State on Independence Day 2018.— J&K Police (@JmuKmrPolice) January 14, 2020
पुलिस ने आगे ट्वीट किया, ‘जम्मू-कश्मीर पुलिस अपने प्रोफेशनलिज्म के लिए जानी जाती है और अगर अपना ही काडर किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल हो तो उसे भी छोड़ा नहीं जाता है।’ जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आगे लिखा, ‘हम पहले भी ऐसा कई बार कर चुके हैं और इस केस में भी हमने अपने इनपुट के आधार पर अपने अधिकारी को पकड़ा है। जम्मू-कश्मीर आगे भी अपनी आचार संहिता का पालन करती रहेगी जो कि सभी के लिए समान हैं।’