देश में कथित गोरक्षकों द्वारा दलित और अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लोगों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं को लेकर मुस्लिम और दलित समुदाय के कई संगठनों ने शुक्रवार को दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर सांप्रदायिक हिंसा बिल को जल्द पारित करने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें उनसे अनुरोध किया गया है कि वे लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी भूमिका निभाएं। ज्ञापन में आगे कहा गया कि केंद्र की मौजूदा एनडीए सरकार में इन समुदायों के लोगों के साथ अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं।
प्रदर्शनकारी संगठनों में शामिल ‘ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत’ के अध्यक्ष नावेद हामिद ने कहा, ‘हम मांग करते हैं कि गोरक्षा के नाम पर घट रही घटनाओं पर पाबंदी लगाई जाए। यह तय करने का अधिकार लोगों को खुद हो कि वे क्या खाना चाहते हैं।’
वहीँ ‘जमात-ए-इस्लामी हिंद’ के उपाध्यक्ष नुसरत अली ने मांग रखी कि इस बात की जांच करने के लिए एक आयोग बनाया जाए कि गोरक्षा के नाम पर घटी हालिया घटनाएं क्या राजनीतिक फायदा उठाने के लिए पार्टियों द्वारा वोटों के ध्रुवीकरण के मकसद से रचे गए संगठित अपराधों का हिस्सा हैं?
उन्होंने आगे कह, आयोग को देश में एक ऐसे मैकेनिज्म के लिए सुझाव देना चाहिए, जिससे कि ध्रुवीकरण की तरकीबों का इस्तेमाल कर लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने से रोका जा सके।