नागरिकता संसोधन कानून, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन के बीच गोवा के आर्कबिशप फिलिप नेरी फेरारो ने कहा कि सीएए देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के खिलाफ है।
चर्च द्वारा जारी एक बयान में आर्कबिशप फिलीप नेरी फेरारो ने मोदी सरकार से मांग करते हुए कहा कि “नागरिकता संशोधन अधिनियम को तुरंत और बिना शर्त रद्द करें और एनपीआर और एनआरीस को लागू करने से रोकें।”
उन्होने कहा कि एनआरसी और एनपीआर को लागू करने का नतीजा यह होगा कि इससे निचले वर्ग के लोग प्रताड़ना के शिकार हो जाएंगे। विशेष रूप से दलितों, आदिवासियों, प्रवासी मजदूरों, घुमंतू समुदायों और अनगिनत अवांछित लोगों को, जिन्हें योग्य नागरिकों के रूप में मान्यता दी गई थी।
Filipe Neri Ferrão, Goa Archbishop: The very fact that CAA uses religion, goes against secular fabric of country. It goes against spirit&heritage of our land which, since times immemorial, has been a welcoming home to all, founded on the belief that whole world is one big family. pic.twitter.com/UvUl5RUkwP
— ANI (@ANI) February 9, 2020
उहोंने कहा कि और इस महान देश में 70 से अधिक सालों से रह रहे लाखों लोग अचानक अपने अधिकार खो देंगे और उन्हें डिटेंशन सेंटर में बंद कर दिया जाएगा, जोकि गलत है।
दूसरी और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिहार में आयोजित एक सभा में कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) किसी हिंदुस्तानी पर लागू नहीं होता है। रविशंकर प्रसाद ने पूछा, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में क्या परेशानी है? इसमें भारत में रहने वालों की सूची ही तो तैयार की जा रही है।