पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को लेकर कहा कि इस केस में फैसला सुनाना चुनौतीपूर्ण काम था। भारत के कानूनी इतिहास में इसका एक विशेष स्थान रहेगा।
उन्होंने कहा, ”अयोध्या मामला, भारत के कानूनी इतिहास में सर्वाधिक जोरदार तरीके से लड़े गये मुकदमों में एक था। इसका हमेशा ही एक विशेष स्थान रहेगा। मौखिक एवं विभिन्न भाषाओं से अनुवाद कराये गए दस्तावेजी साक्ष्यों सहित भारी-भरकम रिकार्डों के आधार पर बहुआयामी मुद्दों का एक अंतिम समाधान निकला।”
उन्होंने कहा, ”प्रत्येक बिंदु पर तीखी बहस हुई और मुकदमा लड़ रहे पक्षों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों के जाने माने समूह ने दलील पेश करने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी।”
न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि अंतिम फैसले पर पहुंचना कई तरह के कारणों को लेकर एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। उन्होंने अपने संदेश में कहा, ‘40 दिनों की लगातार सुनवाई के दौरान प्रख्यात वकीलों के सहयोग और पीठ को उनकी सहायता अभूतपूर्व थी।’
बता दे कि पिछले साल 9 नवंबर को पांच न्यायाधीशों की पीठ ने अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया। पीठ ने केंद्र को यह निर्देश भी दिया कि वह एक मस्जिद बनाने के लिये अयोध्या में किसी प्रमुख स्थान पर सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आवंटित करे।
शीर्ष न्यायालय ने अपने फैसले में अयोध्या की 2.77 एकड़ विवादित भूमि का अधिकार राम लला को सौंपा था जो मुकदमे के तीन वादियों में एक थे।