हरियाणा के कुरुक्षेत्र में कृषि अध्यादेशों के विरोध में हजारों की संख्या में किसान सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे है। लेकिन देश की जनता को इस बात की भनक तक नहीं है। भनक भी हो तो कैसे। देश का मीडिया कंगना और रिया में ही उलझा हुआ है।
हरियाणा के कई जिलों से पीपली मंडी में किसान बुधवार से ही जुट रहे थे। जिसके बाद जिला प्रशासन ने पीपली क्षेत्र में धारा 144 लगाकर रैली के लिए मना कर दिया। बावजूद बड़ी संख्या में किसान कुरुक्षेत्र पहुंच गये। ऐसे में पुलिस ने लाठीचार्ज में देरी नहीं की और कई किसान घायल हो गए।
किसान नेता और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक सरदार वीएम सिंह ने गांव कनेक्शन से कहा, “मोदी सरकार कोरोना के समय में अध्यादेश लाने में तो नहीं घबराई लेकिन किसानों की रैली से घबरा गई। किसानों पर हुए लाठीचार्ज का हम निंदा कर रहे हैं। देशभर के किसान संगठन एक हैं। उन पर लाठीचार्ज कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।”
पीटीआई के अनुसार, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बयान में कहा, “ये अध्यादेश किसानों के हितों के खिलाफ हैं। अगर सरकार उन्हें लागू करना चाहती है, तो उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एमएसपी से नीचे कोई खरीदारी न की जाए। ”
कौनसे हैं वो तीन अध्यादेश?
इन तीन अध्यादेशों में केंद्र सरकार ने फसलों की खरीद के लिए नए नियम तय किए हैं, जिससे किसान नाराज हैं।
- सबसे पहला है किसान उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश 2020, जिसके मुताबिक, पुराने नियमों के अनुसार, अब तक हर व्यापारी केवल मंडी के जरिए ही किसान की फसलों के खरीद सकता था, लेकिन अगर यह कानून पास हो जाता है, तो इसके बाद व्यापारी मंडी से बाहर भी किसान से फसल खरीद सकता है।
- दूसरा है आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश। इसमें अनाज, दालों, खाद्य तेल (Edible oil), प्याज, आलू को जरूरी वस्तु अधिनियम से बाहर करके इनकी स्टॉक सीमा खत्म कर दी गई है।
- इन दोनों के अलावा केंद्र सरकार मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020 पर ‘किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते को भी मंजूरी दी है। इसमें सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग को बढ़ावा देने की भी नीति पर काम शुरू किया है।