गोरखपुर | गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 और 11 अगस्त को हुई करीब 36 बच्चो की मौत के बाद प्रदेश की राजनीती में भूचाल आ गया. विपक्षी दलों ने राज्य सरकार को असंवेदनशील करार देते हुए उस पर हमला बोल दिया. उस समय मीडिया रिपोर्ट में कहा गया की अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई रोक देने से यह हादसा हुआ. लेकिन सरकार लगातार बच्चो की मौत के लिए ऑक्सीजन की कमी को जिम्मेदार मानने से इनकार करती रही. हालाँकि सरकार ने जिम्मेदारी तय करते हुए कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ आरके मिश्रा को ससपेंड कर दिया.
अब इस मामले में स्थानीय डीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौप दी है. जांच रिपोर्ट में वैसे को मौत के लिए किसी को जिम्मेदार नही ठहराया गया लेकिन ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित करने के लिए ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी पुष्पा सेल्स , कॉलेज के प्रिंसिपल आरके मिश्रा और एनीसथीसिया विभाग के एचओडी और ऑक्सीजन सप्लाई प्रभारी डॉक्टर सतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराया गया. इसके अलावा सतीश और आरके मिश्रा के 10 अगस्त को छुट्टी पर रहने पर भी सवाल खड़े किये गए.
डीएम ने जांच रिपोर्ट में कहा है की अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई को देखने का काम सतीश कुमार का है. उनकी यह जिम्मेदारी बनती है की अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित न हो. अगर अस्पताल में ऐसा होता है तो इनके कारणों की जाँच कर सम्बंधित विभाग को इसके बारे में सूचित करे. लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया. अगर बिल भुगतान न होने की वजह से 10 अगस्त को कंपनी ने ऑक्सीजन सप्लाई बाधित कर दी तो सतीश कुमार को सम्बंधित विभाग को इस बारे में सूचित करना चाहिए था.
इसके अलावा रिपोर्ट में बताया गया की ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने अस्पताल को बार बार बिल भेजे लेकिन उन्होंने बिल भुगतान करने में कोई तत्परता नही दिखाई. इसके अलावा जाँच में ऑक्सीजन की खरीद में कमीशन खोरी की और भी इशारा किया गया. इसके अलावा पुष्प सेल्स को भी ऑक्सीजन सप्लाई रोकने के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा गया की मेडिकल क्षेत्र में होने के बाद आप ऑक्सीजन जैसे जीवन रक्षक गैस की सप्लाई नही रोक सकते. भुगतान के लिए आप दुसरे रास्ते भी अपना सकते थे.
यह जांच रिपोर्ट डॉ कफील खान के लिए राहत लेकर आई है. रिपोर्ट में डॉ कफील को क्लीन चिट दी गयी है. हालाँकि सरकार ने भी कफील पर कोई गंभीर आरोप नही लगाया था. बताते चले की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ कफील को सरकार ने पीडियाट्रिक्स विभाग के नोडल ऑफिसर पद से हटा दिया था. उधर डीएम ने अपनी रिपोर्ट में मामले की उच्च स्तरीय जाँच कराने की सिफारिश की है. इसके अलावा कॉलेज में हो रही वित्तीय अनियमिताओ के लिए डॉ आर के मिश्रा को जिम्मेदार ठहराया गया.