अजमेर: विश्व प्रसिद्ध सूफी संत हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी उर्फ़ ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को अब हिंदूवादी संगठनो ने मंदिर बताना शुरू कर दिया है. जिसके चलते मुस्लिम समुदाय की और से विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए है.
शिवसेना हिंदुस्तान नाम के एक हिंदूवादी संगठन ने दरगाह को गिराने की मांग के साथ हिन्दू समुदाय के समर्थन को इकट्ठा करने के लिए एक अभियान शुरू किया है. जिसके चलते शहर में तनाव फ़ैल गया है. इस सबंध में दरगाह के खादीम (संरक्षक) ने 22 दिसंबर को संगठन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराकर समूह पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की.
शिवसेना हिंदुस्तान के महासचिव लखन सिंह ने कहा कि दरगाह के स्थान पर मन्दिर होने का दावा करते हुए कहा कि वे सदियों पुरानी दरगाह को ध्वस्त करने के लिए हिंदू समर्थन जुटाने का अभियान शुरू किया है.
हिंदूवादी संगठन के खिलाफ खुद्दम-ए-ख्वाजा और अजमेर दरगाह की चिस्ती फाउंडेशन ने 22 दिसंबर को विरोध प्रदर्शन किया. अजमेर शरीफ दरगाह के गद्दीनशीन और चिश्ती फाऊंडेशन के चेयरमैन सय्यद सलमान चिश्ती ने बताया कि सैकड़ों खादीमों ने सड़कों पर उतारकर शांतिपूर्ण ढंग से विरोध किया.
दरगाह के खादिम ने कहा, यह दरगाह पिछले 800 वर्षों से हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक रहा है और यह पहली बार है कि किसी भी समूह ने दरगाह के खिलाफ हिंदुओं को जुटाने की कोशिश की है.