बनारस। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं पहले भी बहुत सारे दीक्षांत समारोह में जा चुका है लेकिन यहां आना खास मौका है। PM Modi कहा कि ये दीक्षांत समारोह है, हम ये कभी भी मन में न लाएं कि ये शिक्षांत समारोह है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि हमारे अंदर का विद्यार्थी हमेशा जीवित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय ने जो BHU में किया, वहीं महात्मा गांधी ने बाद में गुजरात विद्यापीठ में किया। ये दोनों महापुरुष युवाओं को यह पाठ पढ़ाना चाहते थे कि किस तरह देश के लिए योगदान दिया जाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के शताब्दी दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना Madan Mohan Malviya को जमकर सराहा। पीएम ने Banaras Hindu University convocation में मेधावियों को पदक देने के बाद समारोह को संबोधित किया। PM Modi ने छात्रों से कहा कि आप नए- नए आविष्कार करें। कट कॉपी पेस्ट से दुनिया का विकास नहीं होगा। उन्होंने छात्रों से कहा आज दीक्षांत समारोह पर आप बड़े-बड़े सपने देखें। दुनिया को कुछ नया देने का प्रण ले BHU। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज विजनरी किसे कहते हैं, यह समझाना सबके लिए आसान नहीं होगा मगर आज से सौ साल पहले महामना मदन मोहन मालवीय जी ने साबित किया कि दूरदर्शी किसे कहते हैं।�
अंग्रेज भी देश में कई विश्वद्यिालय बना रहे थे मगर उनका मकसद था अपने हित में करोबारियों को तैयार करना। इसके उलट महामना जी ने भारतीय परंपराओं को जिंदा रखने के लिए बीएचयू की स्थापना की। उसी दौरान Mahatma Gandhi ने गुजरात में Gujarat Vidyapeeth की स्थापना की थी। आज मैं देख रहा हूं कि उन्होंने कितना श्रम किया होगा। यह उनकी मेहनत व दूरदृष्टि की ही देन है कि हम आज इस विशाल वट वृक्ष के नीचे संस्कार की पाती पढ़ रहे हैं। ऐसे मालवीय जी व ऐसे सभी महानुभावों को शत शत नमन।
स्टूडेंट सीना तान कर कहते है कि हम BHU से हैं
प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां से पढ़े लोग कभी सीना तानकर कहते थे कि मैं बीएचयू का स्टूडेंट हूं। यहां से पढ़े लोग जहां गए, अपने काम से झंडा गाड़ दिया। एक संस्था की ताकत क्या होती है, यह बीएचयू ने दिखाया है। यह बहुत बड़ी बात है। लेकिन कभी-कभी सवाल उठता है कि क्या भारत के सवा सौ करोड़ लोगों के मन में भी बीएचयू के प्रति वही श्रद्धा भाव है। आखिर वो कौन सी बाधा है, इस श्रद्धा भाव में कहीं न कहीं संकोच है।
योग कोई नई चीज नहीं: PM Modi
पीएम मोदी ने कहा कि योग कोई नई चीज नहीं है। भारत में सदियों से यह परंपरा चली आ रही है। योग को लेकर हमेशा जिज्ञासा रही है मगर हमें लगता था कि शायद योग में वह ताकत नहीं। हालांकि बीते साल इसी भारतीय योग को संयुक्त राष्ट्र ने विश्वव्यापी मान्यता देते हुए इसके लिए एक दिवस घोषित किया। यह है अपनी ताकत को पहचानने का नतीजा।
कभी मरना नहीं चाहिए हमारे अंदर का विद्यार्थी
प्रधानमंत्री ने कहा कि दीक्षांत नहीं ये शिक्षा के आरंभ का समारोह है। यह शिक्षा के अंत का नहीं वरन शिक्षा से प्राप्त गुर को आजमाने का आरंभ है। हमारे अंदर का विद्यार्थी कभी मरना नहीं चाहिए। वही जिंदा रहता है जो आजीवन विद्यार्थी रहता है। आज जब हम इस दीक्षांत से निकल रहे हैं तो हमारे सामने विशाल विश्व है। अब आप कैंंपस से निकलकर दुनिया में दम रख रहे हैं। एक ओर खुशी होती है लेकिन अब परिसर से निकलते ही मुझे देखने का दुनिया का नजरिया बदल जाएगा। मन में यह भाव रखना होगा क्योंकि अब लोग पूछेंगे कि बताओ भैया अब क्या करोगे। …यहीं से जिंदगी की कसौटी का आरंभ हो जाएगा।
नई प्रेरणा का अवसर है दीक्षांत
दीक्षांत समारोह एक नई प्रेरणा का अवसर भी होता है। जिज्ञासा की जड़ों को अब और मजबूत करते चलिए। यह मुरझा गई तो नित नूतन करने का आनंद ही नहीं ले पाएंगे। जीवन कभी मुरझाना नहीं चाहिए। जीवन खिला रहना चाहिए। संकट के सामने भी उसे झेलने का सामर्थ होना चाहिए। तात्कालिक चीजों से जो घबराना जाता है, उसके लिए ज्ञान का प्रकाश ही पथ बनाता है।
महज डिग्री के लिए पढऩे का क्या मतलब
पीएम मोदी ने कहा कि देश-दुनिया के सामने बेहद चुनौतियां हैं। उनके बीच में आपकी भूमिका क्या हो, इसे तलाशें। समझें कि मैं कुछ ऐसा कर जाउं कि लोग युगों तक याद रखें। हम नये-नये अनुसंधान के बारे में सोचें, महज डिग्री के लिए पढऩे का क्या मतलब है। आदिवासी क्षेत्रों में कई गंभीर बीमारियां फैली हैं, क्या निदान का कोई उपाय हम खोज सकते हैं।�
सूरज को दादा, चांद को भी मामा कहते हैं हम�
आज विश्व ग्लोबल वार्मिंग से परेशान है। पूरी दुनिया पेरिस में जुटी थी, दो डिग्री तापमान कम करना है वरना न मालूम कितने आइलैंड डूब जाएंगे। क्या हम ये चुनौती स्वीकार कर सकते हैं। हमारे भीतर तमाम तत्व ज्ञान है, हम दुनिया को परिवार और ब्रहृमांड को कुनबा मानते हैं। हम सूरज को दादा और चांद को भी मामा कहते हैं।
122 देशों के संगठन का अध्यक्ष है INDIA
क्या हम दुनिया को Global warming से बचाने के लिए कोई ठोस रास्ता दिखा सकते हैं। प्रकृति के साथ संघर्ष नहीं, संवाद होना चाहिए। हम अमेरिका, भारत, फ्रांस व बिल गेट्स एक साथ इस मामले पर काम कर रहे हैं। पहली बार दुनिया के सूर्य से आशीर्वाद प्राप्त 122 देशों का संगठन बना है, भारत जिसका अध्यक्ष है। इससे तो हमारी जिम्मेदारी भी बड़ी है।
स्कूल के बच्चों को बताया खास मेहमान
हमारे गन्ना किसान भी परेशान हैं। क्या बीएचयू इस दिशा में कुछ कर सकता है। क्या सोलर एनर्जी की दिशा में हम कुछ कर सकते हैं। मैं बीएचयू के होनहरों को चुनौती देने आया हूं- आइए, सपने बड़े देखिए। दुनिया के लिए कुछ करिए। यहां मेरे कुछ खास मेहमान भी बैठे हैं। ये एक स्कूल के बच्चे हैं, ये दीक्षांत देखने आए हैं कि यह क्या होता है। जो बच्चे आज यहां दीक्षांत देख रहे हैं अब वो भी आगे ऐसे ही दीक्षांत में मेडल लेने की ललक पालेंगे। मेरा अनुरोध है कि आज जिन्हें मेडल मिला है, वो इन बच्चों से जरूर मिलें। शुभकामनाएं देने के साथ उन्होंने संबोधन समाप्त कर दिया।
फिर से संभाला मंच�
संबोधन समाप्त करने के बाद एक बार फिर PM Modi मंच पहुंचे। उन्होंने कहा कि मुझे विनम्रता पूर्वक कहना है कि BHU से मेरे पास पत्र आया था कि मुझे डाक्टरेक्ट देना चाहते हैं। बुरा मत मानना, मैं इस काबिल नहीं इसी कारण इंकार किया। मैं कहीं भी डिग्री नहीं लेता। यहां आना ही मेरे लिए गौरव की बात है। बनारस ने मुझे जो दिया है, उसके लिए आभार।
JNU controversy पर�चुप रहे PM Modi
BHU convocation में डिग्री लेने वालों को पीएम ने दी बधाई दी। सबकी नजर इस बात पर थी कि प्रधानमंत्री JNU controversy पर बोलेंगे, लेकिन उन्होंने JNU पर कुछ भी नहीं कहा। इससे पहले वे सुबह वाराणसी के संत रविदास मंदिर पहुंचे और यहां उन्होंने पूजा-अर्चना करने के बाद प्रसाद ग्रहण किया। सोमवार को दोपहर में Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal भी रविदास मंदिर आएंगे।
�PM के मंच पर पहुंचने के बाद गाया गया BHU का कुलगीत�
प्रधानमंत्री के दीक्षांत समारोह में मंच पर पहुंचने के बाद बीएचयू का कुलगीत गाया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी व HRD Minister Smriti Irani समेत सभी ने महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यापर्ण किया। मंच पर पीएम मोदी के साथ एचआरडी मिनिस्टर स्मृति ईरानी व कुलपति प्रो जीसी त्रिपाठी भी मौजूद रहें।�
BHU के गेट पर हुआ पीएम मोदी का विरोध
इससे पहले बीएचयू के सिंह द्वार पर पीएम मोदी के वाराणसी आगमन का विरोध करने वाले दो युवको को काले झंडे के साथ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पकड़ा गया युवक काशी विद्यापीठ का छात्र है जिसमें एक का नाम विजय प्रताप भारती है। दोनों के ही पास रोहित वेमुला के पोस्टर मिले हैं। इस दौरान पुलिस ने छात्रों पर काबू पाने के लिए हल्का बल प्रयोग भी किया।
BHU दीक्षांत में मोदी चौथे प्रधानमंत्री
Banaras Hindu University का अपना अद्भुत रिकार्ड रहा है। 22 फरवरी को बीएचयू के शताब्दी दीक्षांत समारोह में शामिल होने बनारस पहुंचे। PM Modi चौथे ऐसे पीएम हैं जो बीएचयू के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। बीएचयू में शामिल होने वाले पूर्व प्रधानमंत्रियों में पं. नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री व मनमोहन सिंह ने दीक्षांत भाषण दिया है। मोदी चौथे प्रधानमंत्री होंगे, जो इस उपलब्धि को अपने नाम करेंगे।�
ये राष्ट्रपति भी आ चुके हैं बीएचयू के दीक्षांत में
बीएचयू के दीक्षांत में आने वाले राष्ट्रपति की लंबी फेहरिस्त है। इसमें पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के अलावा सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अली अहमद, शंकर दयाल शर्मा, एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल हैं ही, मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी पिछले वर्ष दीक्षांत के मुख्य अतिथि थे। शताब्दी वर्ष समारोह के ओएसडी विश्वनाथ पांडेय बताते हैं कि दिग्गज शख्सियतों के मेहमान बनकर आने के मामले में बीएचयू का बड़ा गौरवशाली इतिहास है।
वर्ष 1919 में पहला दीक्षांत
22 फरवरी को 98वां दीक्षांत समारोह मनाने जा रहे बीएचयू का पहला दीक्षांत वर्ष 1919 में मनाया गया था। अबकी बार जहां 11 हजार 620 उपाधियां वितरित होंगी, वहीं पहले दीक्षांत की शुरुआत में मात्र 34 डिग्री बांटी गई थी। पहला दीक्षांत वर्तमान के सेंट्रल हिंदू स्कूल कमच्छा परिसर में मनाया गया था। उस समय चांसलर मैसूर के महाराजा सर कृष्णराय बाडियार और कुलपति सर पीएस शिवस्वामी और द्वारका के शंकराचार्य मंच को सुशोभित कर रहे थे। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू बीएचयू के स्थापना से लेकर वर्ष 1962 के बीच 13 बार यहां आए थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी बीएचयू आ चुकी हैं।
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