नोटबंदी से मची देश में उथल-पुथल, सिर्फ 5 दिनों में हुई 16 लोगो की मौत

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भारत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी की घोषणा के बाद देश में हालात बिगड़ते नज़र आ रहे हैं. देश के हर शहर में बैंक और एटीएम मशीनों के सामने आम लोगो की लंबी-लंबी कतारे सड़को पर नज़र आ रही हैं. कोई अपनी बीवी के इलाज के लिए बैंक के बाहर खड़ा अपनी बीवी की मौत का इन्तिज़ार कर रहा हैं तो कोई अपने पति के इलाज के लिए एटीएम के बाहर लाइन में खड़ी हैं. इन कतारो में आम लोगो के अलावा अभी तक कोई दूसरा नज़र नहीं आया हैं.

केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय के बाद पैसो की कमी के कारण पूरे देश में उथल पुथल मची हुई हैं. नोटबंदी के बाद बीते 5 दिनों में 15 लोगो की मौत हो गयी हैं. दरअसल भारत की केंद्र सरकार ने 8 नवम्बर की रात 12 बजे से 500 और 1000 के नोटों को अमान्य कर दिया था. जिसके बाद से देश में यह स्थिति पैदा हुई, क़तर में लगने के कारन किसी की मौत हुई तो किसी को नोटबंदी से दिल का दौर पड़ने के कारण.

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पहले मामला, महाराष्ट्र प्रान्त के मुम्बई का हैं जहा एक नवजात शिशु को अस्पताल में भर्ती करने से इंकार कर दिया गया, जिसके बाद उसकी मौत हो गयी. अस्पताल के प्रबंधक ने बच्चे को इसलिए भर्ती करने से मना कर दिया क्योकि उसके परिवार वालो के पास मान्य नोट नहीं थे. अब यह सोचने वाली बात हैं कि एक ही रात में कैसे इतनी मान्य रकम इखट्टा की जाये, जबकि उसके अगले दिन बैंक और एटीएम मशीनों पर ताला लगा हो.

दूसरा मामला भारत के विज़ाग शहर का हैं जहा नोटबंदी के कारण एक 18 वर्षीय बच्चे की मौत हो गयी. माँ-बाप के पास मान्य पैसे ना होने के कारण दवाइया नहीं खरीद पाए, जिसके बाद उस निजी अस्पताल ने बच्चे को भर्ती करने से इनकार कर दिया.

वही तीसरा मामला, भारत के उत्तरप्रदेश प्रान्त के मैनपुरी ज़िले का हैं, जहां अस्पताल में भुखार तड़प रहे एक साल के खुश का का इलाज डॉक्टर ने रोक दिया. जिसके बाद उसके परिजन उसको अस्पताल से घर ले आते हैं जहां उसकी मौत हो जाती हैं.

इसके बाद बढ़ते हैं भारत के राजस्थान प्रान्त की ओर जहां पाली ज़िले में एक एम्बुलेंस ने बच्चे को अस्पताल ले जाने से इनकार कर दिया क्योकि उसके परिजन के पास सिर्फ 500 और 1000 के नोट, और जब तक उसके पिता ने पैसो का इंतिज़ाम किया उसका बच्चा मर चुका था.

इसके बाद अगला मामला फिरसे उत्तरप्रदेश के कुशीनगर का हैं, जहां एक धोबन (कपडे धोने वाली) को जब यह सूचना मिली की 1000 और 500 के नोट बंद हो गए तो वह उनको बदलने के लिए बैंक गयी जहां पहुँचने के बाद उसने देखा कि नोट स्टॉक में नहीं हैं जिसके कारण उसको दिल का दौर पड़ गया और उसकी मौत हो गयी.

अगला मामला भारत के दक्षिणी प्रान्त तेलंगाना का हैं, 55 वर्षीय कंदुकूरी विनोद, जिसने आपने पति के इस्लाज के लिए अपनी सारी संपत्ति बेच कर 54 लाख रूपये इखट्टा किये थे, नोटबंदी के फैसले के बाद उस महिला ने आत्महत्या कर ली.

वेस्ट-बंगाल, हावड़ा जहां एक पति ने अपनी पत्नी का खून सिर्फ इसलिए कर दिया क्योकि उसकी पत्नी एटीएम से खाली हाथ लौट कर आगयी. उसके पति का मन्ना था कि उसको कुछ देर और एटीएम के बाहर रुकना चाहिए था.

आठवी घटना बिहार प्रान्त की हैं, कैमूर डिस्ट्रिक्ट में एक 45 वर्षीय आदमी की मौत हार्ट अटैक से हो गयी कियाकि उसको लगता था कि दहेज़ के लिए इखट्टा किया हुआ पैसा अब उसका होने वाला दामाद नहीं लेगा.

वही अगली घटना केरल राज्य की हैं, एक 45 वर्षीय व्यक्ति की उस वक़्त मौत हो गयी जब वह दुबारा बैंक पैसे जमा करने गया लेकिन उसी समय उसका पैर फिसल गया और वह दो मंज़िल ईमारत से निचे गिर गया और उसकी मौत हो गयी. स्थानीय मीडिया का कहना हैं कि यह व्यक्ति पैसे को एक्सचेंज करने को लेकर काफी डिस्टर्ब था.

विश्वास वर्तक, 72, मुंबई में एक बैंक में पुराने नोटों को जमा करने के लिए इंतजार कर रहे थे, कि तभी दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.

वही गुजरात में एक किसान नोट एक्सचेंज करने का इन्तिज़ार कर रहा था कि दिल का दौर पड़ने के कारण उसकी मौत हो गयी.

बारवी घटना भारत के केरल राज्य की हैं, जहां एक व्यक्ति बैंक के बाहर कतार में खड़ा-खड़ा ज़मीन पर गिर गया, जिसके बाद उसकी मौत हो गयी.

तेरहंवी घटना में कर्नाटक प्रान्त के उडुपी का रहने वाले 96 वर्षीय व्यक्ति की मौत बैंक के बाहर लाइन में खड़े होने से हो गयी.

इसी तरह तीन अतरिक्त मामले हैं, जिनकी पूरी जानकारी हासिल नहीं हो पायी हैं. जिसमे एक बैंक कर्मचारी, एक बिज़नेस मैन सहित एक अन्य व्यक्ति हैं.

यह न्यूज़ हफ्फिंगटन पोस्ट में छापी गयी, जिसका यहाँ हिंदी अनुवाद किया गया हैं.

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