
पोलैंड के वारसॉ विश्वविद्यालय में ‘भारतीय लोकतंत्र के सात दशक’ विषय पर व्याख्यान के दौरान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा है कि जब तक आम लोग लोकतंत्र की वास्तविक मूल्यों और अल्पसंख्यकों के हक के लिए आवाज उठाते रहेंगे तब तक लोकतंत्र मजबूत रहेगा.
उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में भारत ने लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए कई काम किये हैं लेकिन इस मोर्चे पर और काम करने की जरूरत है. एक सफल लोकतांत्रिक देश होने के बावजूद भारत में कई समस्याएं बरकरार हैं. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में बहुमत चाहे कितनी अधिक क्यों न हो, अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा एक महत्वपूर्ण कार्य है.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत के लोग हमारे लोकतांत्रिक भविष्य की सर्वेश्रेष्ठ गारंटी हैं. जब तक सामान्य भारतीय लोकतंत्र के मूल्यों और समरूपता की सांस्कृतिक प्रथाओं को सही मानते हैं, जब तक हमारे लोग अधिकारों के सामने रुकावट पैदा नहीं करते हैं और सांप्रदायिक विचारों से प्रभावित नहीं होते हैं, तब तक हमारी आशा है कि हमारा लोकतंत्र बना रहेगा और दूसरों को प्रेरित करता रहेगा.
अंसारी ने कहा, “करीब तीन दशक पहले एक मशहूर समाजशास्त्री ने भारतीय लोकतंत्र को ‘आधुनिक विश्व का एक धर्मनिरपेक्ष चमत्कार और अन्य विकासशील देशों के लिए एक मॉडल’ कहा था. स्वतंत्रता के सात दशक बाद भी भारतीय लोकतंत्र का चमत्कार उन लोगों के लिए प्रकाशस्तम्भ की तरह चमक रहा है जो स्वतंत्रता की नींव में बुनियादी मानवीय मूल्यों को रखते हैं.”
उन्होंने कहा, “समकालीन अर्थ में स्वतंत्र भारत की लोकतांत्रिक चेतना औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए हमारे संघर्ष की विरासत का प्रतिबिंब है. राष्ट्रीय आंदोलन से जो हमने हासिल किया, वह हमारे संविधान में दर्ज है और यह भारत में राजनीतिक और न्यायिक संवाद को जारी रखते हैं. हमारे लोगों ने इस विरासत का इस्तेमाल सरकारों, राजनीतिक पार्टियों व संस्थानों के प्रदर्शन को आंकने के औजार के रूप में किया है.”