17वीं लोकसभा के लिए चुनाव में दारुल उलूम देवबंद किसी भी दल को वोट देने की अपील नहीं करेगा। दारुल उलूम के चांसलर मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने सोमवार को कहा कि संस्था न कोई फतवा जारी करेगा और न ही राजनीतिक दलों के नेताओं को समर्थन या आशीर्वाद देगा। उन्होंने राजनीतिक दलों के नेताओं से भी गुजारिश की है कि वे चुनावों के दौरान संस्थान न आयें।
दारुल उलूम वक्फ के 78 वर्षीय मौलाना अब्दुल्ला जावेद ने बताया कि 1952 में हुये लोकसभा के पहले चुनाव में शिक्षण संस्थान ने पहली और आखिरी बार मुसलमानों से कांग्रेस को वोट देने की अपील की थी। उसके बाद कभी किसी दल के पक्ष में अपील नहीं की गयी।
मौलाना जावेद ने बताया कि दारुल उलूम के मोहतमिम रहे मौलाना मरगुबुर्रहमान से राहुल गांधी, मुलायम सिंह यादव, सलमान खुर्शीद और नसीमुद्दीन सिद्दीकी जैसे नेता मिलने आये लेकिन मौलाना ने किसी के पक्ष में अपील जारी नहीं की।
गौरतलब है कि इस संस्थान में भूदान आंदोलन के प्रणेता आचार्य विनोबा भावे, देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद, राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और फखरुद्दीन अली अहमद, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी भी आ चुके हैं।