भारत के इतिहास में पहली बार कोई एतिहासिक इमारत किसी कॉरपोरेट घराने के हाथों में गई हो. केंद्र की मोदी सरकार ने मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा बनवाए गए दिल्ली स्थित लाल किले को पांच वर्षों के लिए डालमिया भारत ग्रुप को सोपं दिया है.
हालांकि ये कोई इकलोती इमारत नहीं है. जिसे डालमिया के हवाले किया गया है. डालमिया भारत लिमिटेड ग्रुप को आंध्र प्रदेश के मशहूर गांदीकोटा किला भी सौंपा गया है. बताया जा रहा है कि यह किला डालमिया की सीमेंट फैक्ट्री के काफी नजदीक है.
इस विशाल और खूबसूरत किले का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था. यह करीब 650 साल पुराना है. इस किले और इससे सटे इलाके को ‘हिडन ग्रांड कैनन ऑफ द साउथ’ के नाम से भी पुकारा जाता है, क्योंकि भारत की यह धरोहर अमेरिका के ग्रांड कैनन जैसी खूबसूरत है, मगर इसके बारे में अभी बहुत लोग नहीं जानते.
समझोते के तहत इस किले को अगर मरम्मत में किसी तरह का नुकसान हो जाता है तो डालमिया ग्रुप को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा. इसके अलावा डालमिया ग्रुप आम जनता से किसी तरह की फीस नहीं लेगा हालांकि अर्ध व्यावसायिक गतिविधियों के लिए फीस ली जाएगी जो वाजिब होगी.
इस आमदनी का इस्तेमाल स्मारक के रख-रखाव से जुड़ी गतिविधियों पर ही खर्च किया जाएगा. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अगर स्मारक के किसी काम को लेकर कोई दावा करता है तब सरकार डालमिया भारत समूह को घाटा, खर्च, लागत आदि के मोर्चे पर कोई नुकसान नहीं होने देगी.