नई दिल्ली । तीन तलाक़ विरोधी बिल बुधवार को राज्यसभा में पेश कर दिया गया। लेकिन राज्यसभा में इस बिल का पास होना मुश्किल दिखायी दे रहा है। जहाँ कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल बिल को संसद की स्थायी समिति के पास भेजने पर अडा हुआ है वही मोदी सरकार के कई सहयोगी भी अब विपक्ष के साथ खड़े हुए दिखायी दे रहे है। हालाँकि केंद्र सरकार गुरुवार को एक बार फिर बिल को पास कराने की कोशिश करेगी।
बुधवार को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हंगामे के बीच तीन तलाक़ बिल को राज्यसभा में पेश किया। लोकसभा में विपक्षी दलो की आपत्ति के बावजूद यह बिल बिना संसोधन के पास हो गया। इसलिए उम्मीद थी की जैसे कांग्रेस ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया था वैसे ही वह राज्यसभा में बिल का समर्थन करेगी। लेकिन बाक़ी विपक्षी दलो की राय के बाद कांग्रेस ने अपना रूख बदल दिया।
कांग्रेस का कहना है की बिल में कई ख़ामियाँ है इसलिए बिल को संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए। इसके लिए कांग्रेस ने 17 सदस्यो की एक समिति का भी प्रस्ताव रख दिया। जिसमें कुछ सरकार की सहयोगी पार्टी के नेताओ का नाम भी शामिल है। फ़िलहाल भाजपा के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है की उसके कुछ सहयोगी भी बिल को स्थायी समिति के पास भेजने का समर्थन कर रहे है।
इसमें AIADMK , शिवसेना और टीडीपी का नाम शामिल है। हालाँकि सहयोगी दलो के समर्थन के बावजूद भाजपा के पास राज्यसभा में बहुमत नही है। इसलिए बिना कांग्रेस के सहयोग से यह बिल राज्यसभा से पास होना नामुमकिन है। 245 सीटों वाले राज्यसभा में भाजपा के पास जहाँ 57 सीट है वही कांग्रेस के पास भी 57 सीट है। सहयोगियों को मिलाने के बावजूद यह आँकड़ा 88 से ज़्यादा नही होता। इसलिए तीन तलाक़ बिल को अभी और इंतज़ार करना पड सकता है।