आल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड समेत नौ संगठनों ने समान नागरिक संहिता और तीन बार तलाक के मुद्दे पर सरकार के फैसले का विरोध करने का फैसला किया हैं. बोर्ड ने कहा कि वे इस संबंध में विधि आयोग की प्रश्नावली का जवाब नहीं देंगे.
मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड ने साफ तौर पर कहा है कि समान नागरिक संहिता देश के लिए सही नहीं है और इस मसले पर सरकार हमारे साथ धोखाधड़ी कर रही है. बोर्ड का कहना है कि सरकार का यए कदम देश की एकता के लिए खतरा है और देश को तोड़ने वाला है. सरकार ध्यान भटकाने के लिए ये काम कर रही है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना मोहम्मद वली रहमानी ने कहा कि हम लोग विधि आयोग द्वारा तैयार की गई प्रश्नावली को खारिज करते हैं और हम इसका कोई जवाब नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि विधि आयोग की इस प्रश्नावली का वास्तविक मकसद मुस्लिम पर्सनल लॉ को समाप्त करना है और यह प्रश्नावली लोगों को भ्रमित करने के लिए तैयार की गई है.
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 का उल्लेख कर समान नागरिक संहिता को संवैधानिक दर्जा देने की कोशिश की गई है, जो नीति निर्देशक तत्वों के खिलाफ है और इसे लागू नहीं किया जा सकता है. संविधान के मौलिक अधिकार के अनुच्छेद 25 के तहत हर व्यक्ति को अपने मन पसंद धर्म को चुनने, उसका प्रचार करने और उसे अपनाने का अधिकार है.