नई दिल्ली: देश के प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ लेने के बाद पहले ही दिन जस्टिस रंजन गोगोई ने मामलों की लिस्टिंग और सुनवाई को लेकर अपने सख्त तेवर दिखा दिए। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट में तभी जल्द सुनवाई के लिए आ सकते हैं, जब किसी को फांसी होने वाली हो, कोई मरने वाला हो या फिर कोई डिमोलेशन जैसी कार्रवाई का मामला हो।
दरअसल, बीजेपी नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने चुनावी खर्चों से जुड़े मौजूदा कानून में खामियों, चुनाव से जुड़ी याचिकाओं के लंबे समय से लंबित होने और इसके कारण निष्पक्ष चुनाव पर पड़ने वाले असर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ में इस मामले की लिस्टिंग हुई थी।
अर्जी पर सुनवाई शुरू होते ही CJI ने पूछा कि इस मामले में याची कौन है? इस पर अश्विनी उपाध्याय अधिवक्ता के गाउन (रोब) पहने अपने स्थान पर खड़े हो गए। CJI ने उनसे पूछा कि आप इस मामले में वकील हैं? सुप्रीम कोर्ट के वकील ने बताया कि वह सहयोग कर रहे हैं। CJI ने तेवर सख्त करते हुए कहा, ‘तो आप वकील और याची हैं। साथ ही (वकील के) गाउन में भी हैं। कहां है शिष्टाचार? आपकी याचिका को सिर्फ इसी आधार पर खारिज कर देना चाहिए।’
इस दौरान जस्टिस गोगोई ने कहा कि बहुत अर्जेंट मैटर ही मेंशन किए जा सकेंगे। चीफ जस्टिस ने सख्त लहजे में कहा कि जब तक पैरामीटर तय नहीं होते कोई मेंशनिंग नहीं होगी। जब तक कि मामला सही में ही अर्जेंट ना हो। जैसे कि कल किसी को मौत की सजा हो रही हो या जेल हो रही हो।
बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस रंजन गोगोई को राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश की शपथ दिलाई। जस्टिस रंजन गोगोई ने मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस दीपक मिश्रा का स्थान लिया है।