नई दिल्ली | उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत दर्ज करने के पीछे एक बड़ी वजह उनका किसानो से किया वादा भी माना जा रहा है. मोदी सरकार ने पुरे चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था की सरकार गठन होते ही पहली कैबिनेट बैठक में सभी किसानो का सभी तरह का कर्ज माफ़ कर दिया जाएगा. हालाँकि प्रदेश में बीजेपी सरकार बने एक हफ्ता होने को है लेकिन अभी तक कर्ज माफ़ी जैसी कोई घोषणा नही की गयी है.
इस मामले पर राज्यसभा में चर्चा करते हुए कृषि मंत्री राधेमोहन सिंह ने कहा था की उत्तर प्रदेश के किसानो का कर्ज माफ़ किया जाएगा और इसके लिए केंद्र सरकार, प्रदेश सरकार को पैसे देगी. लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कृषि मंत्री के उलट कहा है की केंद्र सरकार किसी भी राज्य को कर्ज माफ़ी के लिए मदद नही देगा. गुरुवार को राज्यसभा में बोलते हुए अरुण जेटली ने यह बाते कही.
उन्होंने स्पष्ट किया की केंद्र सरकार किसानो का कर्ज माफ़ नही करेगी और न ही किसी भी राज्य को किसानो का कर्ज माफ़ करने के लिए मदद देगी. अगर राज्य किसानो की कर्ज माफ़ी की घोषणा करते है तो उन्हें खुद यह खर्च वहां करना होगा. मालूम हो की राधेमोहन के बयान के बाद विपक्ष ने सदन में हंगामा करते हुए मांग की थी की केवल उत्तर प्रदेश ही नही बल्कि सभी प्रदेशो के किसानो का कर्ज माफ़ होना चाहिए.
बताते चले की रिज़र्व बैंक से लेकर एसबीआई बैंक की चेयरमैन ने कर्ज माफ़ी की मुखालफत की थी. रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस.एस. मूंदड़ा ने कहा की अगर सरकार कर्ज माफ़ी की घोषणा करती है तो इससे कर्ज देने वाले और लेने वालो के बीच अनुशासन बिगडता है. हमें यह देखने की जरुरत है की क्या वाकई में कर्ज माफ़ी की जरुरत है और अगर हाँ तो इसके तरीके क्या हो सकते है.