नई दिल्ली | दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच का टकराव जगजाहिर है. ज्यादातर मौको पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल , मोदी सरकार पर उनके काम में अडंगा डालने का आरोप लगाते आये है. हालाँकि मोदी सरकार उनके इन आरोपों का हमेशा से ही खंडन करती आई है लेकिन कुछ घटनाये ऐसे है जिससे यह प्रतीत होता है की केजरीवाल के आरोपों में कुछ दम जरुर है.
दरअसल दिल्ली एक केंद्र शासित राज्य है. इसलिए ज्यादातर मामलो में राज्य सरकार को राजभवन और केन्द्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी लेनी पड़ती है. इसलिए दिल्ली सरकार , कैबिनेट बैठक में जो भी फैसले करती है, इसके अलावा विधानसभा में जो भी बिल पास किये जाते है, उन सभी को मंजूरी के लिए उप राज्यपाल और गृह मंत्रालय भेजा जाता है. यही कारण है की केजरीवाल हमेशा से मोदी सरकार पर आरोप लगाते आये है की वो उनके बिल को मंजूरी नही दे रहे है.
ताजा मामले में केजरीवाल ने एक बार फिर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया है की केन्द्रीय गृह मंत्रालय नए मंत्रियो की नियुक्ति को मंजूरी नही दे रहा है. पिछले दस दिनों से इस मामले की फाइल गृह मंत्रालय में अटकी पड़ी है लेकिन अभी तक कोई भी फैसला नही लिया गया है. इस मामले में केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा की दो मंत्रियों की फ़ाइल पर केंद्र 10 दिनों से बैठा है. दिल्ली सरकार में कई काम रुके हैं. आपकी हमसे दुश्मनी है, दिल्ली की जनता से तो बदला मत लो.
दो मंत्रियों की फ़ाइल पर केंद्र 10 दिनों से बैठा है। दिल्ली सरकार में कई काम रुके हैं। आपकी हमसे दुश्मनी है, दिल्ली की जनता से तो बदला मत लो
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 16, 2017
कुछ इसी तरह का आरोप उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी लगाया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा की दिल्ली में 2 नए मंत्री की मंजूरी की फाइल 10 दिन से केंद्र सरकार लेकर बैठी है. अब तो कपिल का धरना और मीडिया की नौटंकी खत्म हो गई, अब तो कर दो. दरअसल केजरीवाल ने 6 मई को जल मंत्री कपिल मिश्रा को कैबिनेट से हटाकर राजेंद्र पाल गौतम और कैलाश गहलोत को मंत्री बनाने का फैसला किया था. केजरीवाल के इसी फैसले के बाद कपिल मिश्रा ने बागी तेवर अपनाते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया.