सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में पत्रकारों को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. बुधवार 24 जनवरी को बंबई हाईकोर्ट ने इस मामले में लगाई गई रिपोर्टिंग पर रोक को हटा लिया है.
ध्यान रहे मामले की सुनवाई कर रही सीबीआई की विशेष अदालत ने केस से जुडी किसी भी प्रकार की रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी थी. लेकिन अब हाई कोर्ट ने इस आदेश को पत्रकारों के अधिकारों का अतिक्रमण करार दिया.
जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे ने साफ़ शब्दों कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत ने ऐसा आदेश जारी करने में अपने अधिकारों का अतिक्रमण किया था. कुल नौ पत्रकारों ने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रिपोर्टिंग पर लगी रोक को हटाने की मांग की थी.
जज रेवती ने कहा कि अपराध संहिता के तहत केवल उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ऐसे आदेश जारी कर सकते हैं. अदालत ने कहा कि ऐसा कोई भी आदेश दुर्लभ मामलों में ही जारी किया जा सकता है और वो भी सीमित अवधि के लिए ही लागू होगा.
उन्होंने कहा, ”प्रेस के अधिकार उस संवैधानिक अधिकार में अंतर्निहित हैं जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है. एक खुली सुनवाई की रिपोर्टिंग कर के प्रेस न केवल अपने अधिकार का उपयोग करता है बल्कि सामान्य जनता को ऐसी सूचना मुहैया कराने का व्यापक उद्देश्य भी पूरा करता है.”
याचिका में कहा गया था कि सीबीआई अदालत के उक्त आदेश को खारिज किया जाए क्योंकि वह कानूनी रूप से गलत है, अवैध है और पत्रकारों को अपना कर्तव्य निभा पाने की राह में बड़ा अवरोध है.