चंडीगढ़ | नोट बंदी के बाद किसानो की हालत से बेखबर केंद्र सरकार रोज दावे करती है की वो किसानो की हालात पर नजर बनाये हुए है और उनको रियायते दी जा रही है. केंद्र सरकार का दावा है की किसानो की लाइफ लाइन कोआपरेटिव बैंकों को 21 हजार करोड़ रूपया मुहैया कराये गए है. जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है. कोआपरेटिव बैंकों के कैश नही पहुँच रहा है जिससे किसानो को पैसे नही मिल रहे है.
किसानो के पास न मजदूर को देने के पैसे है, न कीटनाशक खरीदने और खाद खरीदने के पैसे है. न ही किसान अपने कर्ज वापिस कर पा रहा है और न ही उनको नया कर्ज मिल पा रहा है. यही नही समय पर कर्ज न वापिस करने के कारण किसानो के ऊपर पेनल्टी और लगाई जा रही है. सब्जियों के दाम धरती छू रहे है जबकि गन्ना और धान का बकाया अभी तक किसानो को नही मिला है.
इन सब बातो को सामने रखते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा की अगर जल्द ही सरकार पैसे निकालने की लिमिट नही हटाती है तो हम इस मुद्दे को लेकर सडको पर उतरेंगे. हमारे पास पैसे नही है ऐसे में न बुआई हो रही है और न ही हमें पिछला बकाया मिल रहा है. ऐसे हालात में तो किसान बर्बाद हो जायेगा.
बलबीर सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा की इस बार भी हमें हरियाणा से कम गन्ना भाव मिला है. हमारी मांग है की हमें भी हरियाणा के बराबर गन्ना भाव दिया जाए. सतलुज यमुना लिंक पर बोलते हुए बलबीर सिंह ने कहा की हम सरकार का इन्तजार किये बिना खुद सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाल रहे है. इसके अलावा पंजाब में आने वाले विधानसभा चुनावो के मद्देनजर एक किसान संसद का भी आयोजन कर रहे है.
बलबीर सिंह ने बताया की हर राजनितिक दल वोट लेने के लिए किसानो से झूठे वादे करता है. हर राजनितिक दल कहता है की वो किसानो के कर्ज माफ़ कर देगा लेकिन यह नही बताता की कैसे माफ़ करेगा. इन्ही बातो को आगे रखते हुए हम किसान संसद का आयोजन कर रहे है. इस कार्यक्रम में पंजाब के सभी राजनितिक दलों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे.