ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) द्वारा हर जिले में दारुल कजा खोले जाने के फैसले पर बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस पर शरियत कोर्ट के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।
जिलानी ने कहा कि शरिया बोर्ड कोई कोर्ट नहीं है। बल्कि यह वह संस्था है जिसके अंतर्गत कोर्ट से बाहर ही मसलों के निपटारे की प्रक्रिया पर जोर होगा। उन्होंने कहा कि शरिया कोर्ट को लेकर आरएसएस और बीजेपी के लोग समाज में अफवाह फैला रहे हैं। वो इसके नाम पर राजनीति कर रहे हैं।
जिलानी ने सफाई देते हुए कहा कि बोर्ड ने कभी भी हर जिले में शरिया कोर्ट बनाने की बात नहीं कही। हमारा मकसद है कि इसकी स्थापना वहां की जाए, जहां इसकी जरूरत है। जिलानी ने कहा, ‘हम इस मामले को लेकर पूरे देश भर में वर्कशॉप आयोजित करेंगे और हम अपनी पूरी जिम्मेदारी के साथ काम करते रहेंगे।’
Shariah Board is not a court. BJP-RSS is doing politics in the name of Shariat courts: Zafaryab Jilani, All India Muslim Personal Law Board on Shariat courts in all districts of the country pic.twitter.com/IX50M7UORc
— ANI (@ANI) July 15, 2018
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट साल 2014 में ही अपना रुख साफ कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने शरिया अदालत पर प्रतिबंध लगाने से साफ इनकार कर दिया था। कोर्ट का कहना था कि शरिया कोर्ट का फैसला मानने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर कोई वहां जा कर मामलों का निपटारा करना चाहता है तो उसे भी नहीं रोका जा सकता।