बरेली । उत्तर प्रदेश के कासगंज में गणतंत्र दिवस के दिन हुई साम्प्रदायिक हिंसा ने एक घर का चिराग़ बुझा दिया। वही दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए। फ़िलहाल कासगंज की स्थिति नियंत्रण में है। लेकिन कुछ सवाल ज़रूर है जिनका जवाब पीछले कई दशकों से हम ढूँढ रहे है। मसलन आख़िर दो समुदाय के बीच अचानक से इतनी नफ़रत कहाँ से पैदा हो जाती है की दोनो समुदाय एक दूसरे का ख़ून बहाने पर आमादा हो जाते है?
क्यूँ अमन और भाईचारे पर नफ़रत भारी हो जाती है? आख़िर वो कौन लोग है जो राष्ट्रवाद के नाम पर इस देश को हिंदू मुस्लिम में बाँटना चाहते है? पीछले कुछ सालों में यह देखने में आया है की मुस्लिमों को लेकर एक वर्ग में यह धारणा पैदा की गयी है की ये लोग वतन परस्त नही है। इसलिए गाहे बगाहे यही वर्ग, मुस्लिमों की देश भक्ति को मापने निकाल जाते है।
इसी चलन पर बरेली के ज़िलाधिकारी ने बेहद तीखा तंज कसा है। उन्होंने अपने फ़ेस्बुक पेज पर लिखा है की आजकल समाज में इस तरह के बेवझ विवाद खड़े करने का रिवाज बन चुका है। बरेली के डीएम राघवेंद्र विक्रम सिंह ने फ़ेस्बुक पर लिखा, ‘अजब रिवाज बन गया है। मुस्लिम मौहल्लों में ज़बरदस्ती जलूस ले जाओ और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाओ। क्यों भाई वे पकिस्तानी हैं क्या ? यही यहां बरेली में खैलम में हुआ था। फिर पथराव हुआ, मुकदमे लिखे गए …’
बता दें कि इस घटना को राज्य के गवर्नर राम नाईक ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस घटना को प्रदेश पर कलंक बताया है। उन्होंने कहा,’ यह शर्मनाक घटना है, योगी सरकार मामले की जाँच कर रही है। आरोपियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्यवाही की जाएगी। प्रदेश में दोबारा इस तरह की घटना न हो इसके लिए योगी सरकार ज़रूरी क़दम उठाए।’ बता दे की कासगंज में हुई हिंसा में चंदन गुप्ता नामक युवक की मौत हो गई थी। योगी सरकार ने मृतक के परिवार को 20 लाख रुपय का मुआवजा दिया है।