जरुरतमंद की जगह भ्रष्टाचारियो के पैसे बदलवाने लाइन में खड़े थे ज्यादातर लोग – अरुण जेटली

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नई दिल्ली | नोट बंदी पर चारो और से घिरी केंद्र सरकार अब बेकफुट पर नजर आ रही है. विपक्ष मोदी सरकार पर लगातार हमला कर रहा है वही नोट बंदी के 17वे दिन भी लोगो की जेब खाली है. ऐसे में मोदी सरकार का हर फैसला जरुरतमंद लोगो को चिढाता हुआ महसूस होता है. पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा की 50 दिन आप बैंक य डाक घरो में जाकर अपने पैसे बदल सकेंगे लेकिन अब सरकार ने कह दिया की गुरुवार से कोई पैसा नही बदला जाएगा.

इसी युटर्न पर सफाई देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा की नोट बंदी के चार पांच दिनों के अन्दर ही लोअर और मिडिल क्लास ने अपने पैसे बदल लिए. लेकिन इसके बाद भी बैंकों के सामने लम्बी लम्बी कतारे लगी रही है. इसका कारण यह था की जितने जरुरतमंद लोग लाइन में खड़े थे उतने ही लोग वो भी लाइन में थे जो किसी भ्रष्टाचारी का पैसा बदलवाने में मदद कर रहे थे.

अरुण जेटली ने नोट बंदी को प्रधानमंत्री मोदी के फैसले को साहसिक बताते हुए कहा की इससे मजदूर वर्ग को मजबूती मिलेगी. हमारा मकसद है की मजदूरो का वेतन उनके खाते में जाए जिससे न्यूनतम वेतन सही तरीके से लागू किया जा सके. हमने अमूल से बात की , अब वहां सभी कर्मचारियों का वेतन उनके अकाउंट में आ रहा है. जहाँ मजदूरो के बैंक अकाउंट नही खुले है वहां कंपनी उनके अकाउंट खुलवाए.

अरुण जेटली ने डिजिटल इकॉनमी पर जोर देते हुए कहा की हमारा प्रयास है की भारत का हर शख्स डिजिटल इकॉनमी का हिस्सा बने. इसी से देश के भविष्य को संवारा जा सकता है. पीएम मोदी अगली पीढियों के लिए पॉलिसी पैरालिजिज छोड़कर नही जाना चाहते. जब हम कहते थे की एक दिन देश के हर आदमी के पास मोबाइल होगा तो लोग हँसते थे लेकिन आज यह एक सच्चाई है. ऐसे ही आने वाले दिनों में देश का हर शख्स डिजिटल इकॉनमी का हिस्सा होगा.

500 के डिफेक्टिव नोट बाजार में आने पर अरुण जेटली ने कहा की इन नोटों में गड़बड़ी नही है. इन पर आरबीआई गवर्नर के साइन है. ये हर जगह चलेंगे. मनमोहन सिंह पर हमला करते हुए जेटली ने कहा की जिन्होंने पिछले दस सालो में भ्रष्टाचार किया वो आतंकवाद , नक्सलवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई को संगठित लूट बता रहे है.

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