जमीयत उलमा ए हिन्द की और से दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय में आयोजित ‘देश दो राहे पर’ आयोजित कार्य्रक्रम में मौलाना अरशद मदनी ने देश के मुसलमानों से आपस में इत्तेहाद पैदा करने की अपील की.
इस दौरान उन्होंने पीस पार्टी, उलेमा कौंसिल जैसी मुस्लिम राजनीतिक पार्टियों का विरोध करते हुए कहा कि ये पार्टियां फासिस्टों को फायदा पहुंचा रही हैं, लिहाजा इन से दूरी बरतने की जरुरत है. उन्होंने कहा, सांप्रदायिकता से निपटने के लिए शान्ति पसंद तबके को एक साथ एक मंच पर आना होगा.
वहीं ज़कात फाउंडेशन के अध्यक्ष ज़फर महमूद ने भी अल्पसंख्यकों और दलितों की बदहाल स्थिति के लिए सरकारी तंत्र में इनके अल्प-प्रतिनिधत्व को कारण बताया. उन्होंने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पर कहा कि,‘अगर सरकारें इस रिपोर्ट पर काम करेंतो दबे कुचले तबकों का काफी भला हो जाए.
वहीँ एक अन्य कार्यक्रम में बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर ने सत्ताधारी दल पर संविधान को कमज़ोर करने और बदलने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि, ‘लोगों की व्यक्तिगत आज़ादी और स्वतंत्रता खतरे में है. संविधान को बचाना आज की प्रमुख चुनौती है. प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि भीमा कोरेगाओं मामले से फ़ासिस्ट ताक़तों का असली चेहरा सामने आया हैं.’
वहीँ प्रो. कांचा इलैया ने कहा कि, ‘किसी भी सामाजिक आन्दोलन में मुस्लिम समाज का प्रतिरोध देखने को नहीं मिलता. मुस्लिम समाज को अब ज़मीन पर लड़ाई लड़नी होगी.’