सिखों के पांच तख़्तों में से एक अकाल तख्त्त ने 25 अक्टूबर को आरएसएस की शाखा राष्ट्रीय सिख संगत की ओर से दिल्ली में आयोजित किए जाने वाले एक धार्मिक कार्यक्रम से दुरी बनाते हुए सिख समुदाय से इस कार्यकर्म से दूर रहने को कहा है.
ध्यान रहे अकाल तख़्त पांच तख़्तों में सबसे पहला तख़्त है. इसे सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिन्द ने न्याय-संबंधी और सांसारिक मामलों पर विचार करने के लिए स्थापित किया, यह ख़ालसा की सांसारिक एवं सर्वोच्च प्राधिकारी है. और इस तख़्त पर बैठने वाला जथेदार को सिखों के सर्वोच्च प्रवक्ता माना जाता है.
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने सिख समाज से सिख समुदाय को निर्देश दिया कि वह समारोह में भाग न लें. ज्ञानी गुरबचन सिंह ने प्रेस वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि हम सिख इतिहास को अन्य धर्मों में मिलाने की अनुमति नहीं दे सकते और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. सिख एक अलग समुदाय है, अलग पहचान के साथ हमारे पास अपना अनूठा इतिहास है. उन्होंने कहा, सिख समाज अन्य समुदायों के धार्मिक विश्वासों, परंपराओं और इतिहास में हस्तक्षेप नहीं करता है और इसलिए वे सिख धर्म में भी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा.
हालांकि यह पहली बार नहीं है. इससे पहले अकाल तख्त साहिब ने 2004 में हुकमनामा जारी कर कहा था कि वह आरएसएस और राष्ट्रीय सिख संगत को सिख विरोधी मानती है.
आप को बता दे कि राष्ट्रीय सिख संगत यह कार्यक्रम श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के 350वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित कर रही है. इस प्रोग्राम में देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी हिस्सा लेंगे.