नई दिल्ली. भारत में मई से अगस्त के दौरान 66 लाख लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। इन लोगों में इंजीनियर, फिजीशियन, अध्यापक आदि शामिल हैं।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (Centre for Monitoring Indian Economy CMIE) की रिपोर्ट के मुताबिक, मई से अगस्त के दौरान 50 लाख औद्योगिक श्रमिकों को भी अपना रोजगार गवाना पड़ा है। सैलरी उठाने वाले कर्मचारियों में सबसे बड़ा रोजगार का नुकसान व्हाइट कॉलर प्रोफेशनल और बाकी कर्मचारियों का हुआ है।
इन लोगों में सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर, टीचर, एकाउंटेंट समेत कई सेक्टर के पेशेवरों की नौकरी गई है, जो किसी प्राइवेट और सरकारी संस्था में नौकरी करते थे। सीएमआईई के मुताबिक मई-अगस्त 2019 के दौरान ऐसे 18.8 मिलियन यानी 1.88 करोड़ पेशेवर लोग नौकरियां कर रहे थे। अब यह आंकड़ा 12.2 मिलियन के लेवल पर आ गया है।
साफ है कि 66 लाख पेशेवर लोगों को अपना रोजगार खोना पड़ा है। इन पेशेवरों के रोजगार का 2016 के बाद यह सबसे कमजोर आंकड़ा है। CMIE ने यह भी कहा है कि नौकरी जाने की वजह से लॉकडाउन के दौरान पिछले चार साल में रोजगार के मौकों में हुई बढ़ोतरी को नुकसान पहुंचा है।
सीएमआईआई के मुताबिक, सबसे ज्यादा नुकसान इंडस्ट्रियल वर्कर के मामले में हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है, “अगर साल-दर-साल आधार पर तुलना की जाए तो ऐसे 50 लाख लोगों ने नौकरियां गई हैं। इसका मतलब है कि एक साल पहले के मुकाबले इंडस्ट्रियल वर्कर के रोजगार में 26 फीसदी कमी आई है।”