मोदी राज में 50,000 मदरसा टीचरों को नहीं मिला वेतन, नौकरी छोड़ने पर मजबूर

सबका साथ, सबका विकास जैसे नारे देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में 50,000 मदरसा टीचर अपनी नौकरी छोड़ने पर मजबूर है.

दरअसल मुस्लिम बच्चों के एक हाथ में कुरान और दुसरे हाथ में कंप्यूटर देखने वाली मोदी सरकार ने केंद्रीय योजना के तहत पंजीकृत मदरसों में नियुक्‍त 50,000 शिक्षकों को पिछले दो साल से वेतन नहीं दिया है. जिसकी वजह से देश के 16 राज्‍यों के मदरसा प्रभावित हो रहे है.

ध्यान रहे इन मदरसों में बेहद ही गरीब और पिछड़े परिवारों के बच्चें पढने के लिए आते है. मोदी सरकार की केंद्रीय योजना (एसपीक्‍यूईएम) के तहत नियुक्त किये गए इन शिक्षकों को छह हजार से बारह हजार रुपये का भुगतान होता है. ग्रैजुएट टीचरों को छह हजार और पीजी टीचरों को बारह हजार रुपये का वेतन मिलता है.

अखिल भारतीय मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के अध्‍यक्ष मुस्लिम रजा खान ने कहा, ‘भारत में कुल 18,000 मदरसा हैं, जिनमें आधे सिर्फ उत्‍तर प्रदेश में ही हैं. यहां 25,000 शिक्षक कार्यरत हैं. सोलह राज्‍यों के मदरसा शिक्षकों को केंद्रीय योजना के तहत मिलने वाली राशि का दो वर्षों से भुगतान नहीं किया गया है.

उन्होंने बताया कि कुछ राज्‍यों में तो तीन साल से उन्‍हें वेतन नहीं मिला है. ऐसे में हमलोगों ने आठ जनवरी को लखनऊ में विरोध प्रदर्शन करने का फैसला‍ किया है.’ इस बात की पुष्टि उत्‍तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के रजिस्‍ट्रार राहुल गुप्‍ता ने भी की है.

उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार ने वर्ष 2016-17 के लिए 296.31 करोड़ रुपया जारी नहीं किया है. साल 2017-18 के लिए भी अभी तक सहायता राशि मुहैया नहीं कराई गई है.’

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