नई दिल्ली | नोट बंदी को कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक बताने वाली मोदी सरकार के लिए यह खबर चौकाने वाली है. नोट बंदी के बाद कालेधन को सफ़ेद करने का धंधा पुरे जोरो पर चल रहा है. लोग कुछ फीसदी कमीशन लेकर कालेधन को सफ़ेद करने में लगे हुए है. इसमें उनकी सबसे ज्यादा मदद कर रहा है, जन धन खाता. हाँ जी वो ही जन धन खाता जिसको मोदी सरकार अपनी एक उपलब्धि बताते हुए नही थकती.
आजकल हर न्यूज़ टीवी चैनल पर आपको बीजेपी प्रवक्ता एक ही राग अलापते हुए दिखाई देंगे. उनका कहना है की प्रधानमंत्री मोदी जी कालेधन से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध थे इसलिए उन्होंने एक रणनीति के तहत पहले जन धन खाते खुलवाये फिर लोगो को अपनी अघोषित संपत्ति घोषित करने के लिए कहा. इसके बाद ही उन्होंने नोट बंदी का फैसला किया.
जिस जन धन खाते को वो कालेधन को खत्म करने के लिए एक रणनीति बता रहे थे उसी जन धन खाते ने अब कालेधन को सफ़ेद करने के अस्त्र के रूप में जगह ले ली है. नोट बंदी के 13 दिन के अन्दर ही इन्ही जन धन खातो में करीब 21 हजार करोड़ रूपए जमा हो चुके है. यह पैसा किसका है और इनका इन खातो में जमा होने का क्या मकसद है, यह आपको बताने की जरुरत नही है.
जैसे ही यह आंकड़े बाहर आये , आरबीआई ने तुरंत सक्रियता दिखाते हुए सभी बैंकों को इन पर नजर रखने का आदेश दे दिया. फ़िलहाल इन खातो में पैसा जमा करने पर रोक नही लगाई गयी है लेकिन ये तय है की इन खातो का इस्तेमाल , बड़े स्तर पर कालेधन को सफ़ेद करने में हो रहा है. मालूम हो की जन धन खाते में अधिकतम 50 हजार रूपए जमा किया जा सकता है.