जोधपुर: तन्मज़ी तहफ्फुजे हुकुके ख्वातीने इस्लाम के बैनर तले पब्लिक पार्क स्टेडियम के पास स्थित चैक में मुस्लिम महिलाओं ने जमकर प्रदर्शन किया. शरीअत बचाओ कान्फ्रेस में शामिल महिलाओं ने कहा कि देश में ट्रिपल तलाक की जंग और सियासी बहस का स्पष्टीकरण किया है. महिलाओं का कहना है कि शरीयती कानून के साथ किसी भी तरह की छेड़-छाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
प्रदर्शन में शामिल महिलाओं का कहना है कि, केन्द्र सरकार ने यह फैसला बहुत ही जल्द बाज़ी में लिया है. कुरआन शरीफ में तलाक को बूरा माना गया है. लेकिन अगर पति-पत्नी के बीच बहुत गहरी अनबन हो जिसे सुलझाना बेहद मुश्किल हो तो फिर दोनों की ज़िन्दगी से दुःख दूर करने के लिए आखरी समाधान में तलाक को मंजूरी दी गई है.
इस्लाम में तलाक औरतों के हकों की हिफाजत के लिए बनाया गया है. अगर किसी वजह से पति-पत्नी के साथ नहीं रहने के हालात में इस्लाम में तीन महीने में नई जिदंगी शुरू करने का रास्ता दिखाया है, प्रदर्शन करने वाली महिलाओं ने केन्द्र सरकार से अपील की है वह धार्मिक मामलों में अपनी दखलंदाजी करना बन्द करें.
आलिमा सायमा फातिमा और हसीना फातिमा नूरी ने बताया कि केंद्र सरकार की तरफ से तलाक को लेकर जो कानुन बनाया गया है मुस्लिम औरते उसे कभी भी कबुल नहीं करेगी क्योकि शरई (इस्लामी कानूनी) तौर पर तीन तलाक पर बनने वाला कानून ही पूरी तरह से गलत है.
तलाक के कानून की सबसे बड़ी कमी यह है कि मुजरिम को उस गुनाह की सजा दिलाना, जो गुनाह कानून में माना ही नहीं जा रहा है. जो सरासर बेबुनियाद है. केंद्र सरकार के बिल में यह कहा गया है कि कानूनी तीन तलाक मान्य नहीं है अगर कोई ऐसा करता है तो उसे तीन साल की सज़ा और जुर्माना भूगतना पडे़गा. यह कानून पूरी तरह से गलत है क्योंकि जब तीन तलाक को माना ही नहीं जाएगा तो फिर सज़ा किस बात कि? इससे सिर्फ दो रिश्तों के बीच कड़वाहट बढ़ेगी और कुछ नहीं.
शरई कानून ने महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित रखा है और हमें शरीयत (इस्लामी कानून) से बेहद मोहब्बत है. अगर कोई इस्लामी कानून से छेड़छाड़ करेगा तो उसकी गलती को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाएगा. हम सभी मुस्लिम महिलाऐं अपनी ‘एकजुटता’ दिखाएगी और सरकार के इस कानून का विरोध करती रहेगी क्योंकि शरियत के कानून को कभी बदला नहीं जा सकता.