जन्माष्टमी पर मुस्लिम कारीगरों के हाथों से बनी पोशाक पहनते हैं श्रीकृष्ण

भारत की गंगा जमुना तहजीब की मिसाल दुनिया में बहुत ही मुश्किल से देखने को मिलती हैं. ये गंगा जमुनी तहजीब की इस विरासत को आगे बढ़ाने में दोनों समुदाय में प्रमुख साझेदार हैं और इस साझेदारी में मथुरा के हिन्दू-मुस्लिम बुनकर भी अपना योगदान दे रहें हैं.

देश भर में जन्माष्टमी के अवसर पर मथूरा में हर साल कान्हा के लिए खूबसूरत और रंगबिरंगी पोशाकें बहुत बड़े पैमाने पर तैयार की जाती हैं. नंदलाला के ये लिबास ज्यादातर जहां हिंदू कारीगर तैयार करते हैं तो करीब 80 फीसदी मुस्लिम कारीगर अपने बेजोड़ हुनर के जरिए इन लिबासों की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं.

मथुरा दरवाजा निवासी इकराम ने बताया कि आठ साल की आयु से ही ठाकुरजी के पोशाक बना रहे हैं. पोशाक तैयार करने का आर्डर उन्हें एजेंट से मिलता है. इकराम के चार में से तीन बच्चे आसिफ, जावेद और साजिद भी इसी काम में हैं. उनके द्वारा बनाई गई पोशाक अमेरिका, ब्रिटेन, हांगकांग, नेपाल में भी ठाकुरजी धारण कराई जाती हैं.

पोशाक कारीगर रहमान ने बताया कि राधा जी का लहंगा तैयार करने में एक सप्ताह का समय लगता है. इस बार फैशन में कांच है। यह तिकोनी कांच राधा जी के लहंगे को मोहक बना रही है. एजेंट एक लहंगे की बिक्री 17-18 हजार में करते हैं.

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