
आप इस बात का अंदाजा शायद आसानी से लगा सकते हैं कि किसी कंपनी के सीईओ की तनख्वाह कितनी होगी, लेकिन अगर आपको यह पता चले कि नौकरों की तनख्वाह इनसे भी ज्यादा हो सकती है तो शायद आप चौंक जाएंगे। यह कोई मजाक नहीं बल्कि हकीकत है। दुनिया के सबसे ज्यादा कमाई करने वालों में नौकरों की भी गिनती होती है।
इन नौकरों को ‘बटलर’ के नाम से जाना जाता है जिनकी तनख्वाह हजारों में नहीं बल्कि लाखों में होती है। या यूं कह लें की करोड़ो में। चौंकिए नहीं, यह सही है और आज हम आपको इन्हीं बटलरों के बारे में बताएंगे। ये बटलर आपके सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक की हर जरूरतों का ख्याल रखते हैं। ये सुबह आपके टूथब्रश में पेस्ट भी लगाते हैं और शाम को सोते वक्त बिस्तर की चादर तक बदलते हैं।
आपने ‘बैटमैन’ मूवी तो जरूर देखी होगी और शायद आपके जहन में वो बूढ़ा नौकर अल्फ्रेड जरूर उभरकर सामने आ रहा होगा जो बैटमैन की हर जरूरतों का ख्याल रखता है। जी हां, इन्हीं को कहते हैं ‘बटलर’। ये ऐसे नौकर होते हैं जो आपके सुबह उठने से लेकर शाम के सोने तक की हर जरूरतों को ख्याल रखते हैं। आपका नास्ता, लंच, डीनर के अलावा आपकी व्यावसायिक जीवन से जुड़ी जरूरतों को भी पूरा करते हैं।
बटलर पूरी तरह से प्रशिक्षित नौकरों को कहा जाता है जिन्हें बाकायदा इस पेशे की ट्रेनिंग दी जाती है। ब्रिटेन में हर साल करीब 300 से 400 बटलरों को ट्रेनिंग दी जाती है। जिनमें से केवल आधे ही ब्रिटेन में रहते हैं, बाकि विदेशों में नौकरी के लिए चले जाते हैं। इनमें से ज्यादातर चीन और खाड़ी देशों में पनाह लेते हैं।
इस बारे में ब्रिटिश बटलर अकादमी की सारा वेस्टिन रहमानी का कहना है कि यूएई, कतर और सउदी अरब के करीब 30 फीसदी लोग ब्रिटिश बटलरों को अपने यहां नौकरी पर रखना पसंद करते हैं। इनमें से कुछ राजघराने, शेख, और तेल के बड़े व्यापारी होते हैं। इनमें से हर एक के पास कम से कम तीन घर होते हैं और उनमें पहले से 15 नौकर काम करते हैं।
रहमानी के मुताबिक ब्रिटेन में इन बटलरों की सालाना तनख्वाह 40 लाख से 50 लाख तक होती है। वहीं, खाड़ी देशों में यही बढ़कर 65 लाख तक पहुंच जाती है।
आपको जानकर और भी ज्यादा हैरानी होगी कि ये आंकड़े ‘सुपर बटलर’ की तनख्वाह के सामने बौने नजर आते हैं। रहमानी के मुताबिक सुपर बटलरों की सालाना तनख्वाह एक करोड़ या उससे भी ज्यादा होती है।
रहमानी ने बताया कि साल 2014 में उन्होंने खाड़ी देशों में 30 सुपर बटलरों की नौकरी लगवाई थी जिनका सालाना पैकेज एक करोड़ से भी ज्यादा का था। 2015 में सुपर बटलरों की मांग दोगुनी हो गई। ये आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि विदेशों में इनकी कितनी मांग है। इस पेशे में करियर तलाश रहे लोगों के लिए यह एक अच्छा मौका भी है।
उन्हीं में से एक जॉन डीरी हैं जो एक सुपर-बटलर हैं। इनकी उम्र करीब 40 साल के आस-पास है और ये अपने मालिक के लिए खाना परोसने के साथ ही उनके वीजा की तारीखों को भी अपडेट रखते हैं जिससे की उन्हें विदेश दौरों में कोई दिक्कत न आए।
इसके अलावा जॉन उनके तीन मकानों को भी संभालते हैं जिनमें से एक बाल्कन्स में है। इसमें करीब 34 नौकर काम करते हैं। दूसरा लंदन में है जहां 12 नौकर है और तीसरा अभी बन रहा है। जॉन का कहना है कि वो अपने काम को बहुत पसंद करते हैं। इस काम में आपके निजी जिंदगी के लिए कोई समय नहीं। आपको घड़ी के इशारों पर काम करना होता है।
मध्य पूर्व, एशिया और रूस के ज्यादातर रईस लोग ब्रिटिश बटलरों को ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे उनके खाना परोसने के पारंपरिक अंग्रेजी तरीकों और उनके पहनावे के मुरीद होते हैं।
रहमानी के मुताबिक नए नियुक्त हुए बटलरों की औसत उम्र 41 साल के करीब होती है। उन्होंने बताया कि उनके संस्थान से जितने भी बटलरों की नियुक्ति हुई है उनमें से 40 फीसदी महिलाएं हैं। इनमें भी ज्यादातर खाड़ी देशों में काम करती हैं।
बटलरों की बढ़ती मांग को देखते हुए सिटी एंड गाइड बटलर्स डिप्लोमा की शुरुआत की है। इसमें छात्रों को चमड़े, लकड़ी और ऊन की देखभाल से लेकर खाना बनाना, वाइन सर्व करना, सिलाई करना और घर की देखभाल करना तक सिखाया जाता है।
इसके अलावा किसी व्यस्त संपत्ति की देखभाल कैसे करते हैं इसके बारे में भी पूरी जानकारी दी जाती है। इस डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत इसलिए की गई क्योंकि कई राजघराने अपने कर्मचारियों को ऊंचे मानदंडों के अनुरूप प्रशिक्षित करते हैं लेकिन जब वे काम छोड़कर जाते हैं तो उनके पास सर्टिफिकेट के नाम पर कुछ नहीं होता।
इस कोर्स की संचालिका पैट्रिका पास्किन फिलहाल इतिहाद एयवेज के लिए बटलरों को प्रशिक्षित कर रही हैं। इनके एयरलाइन के हवाई जहाज एयरबस ए380 में प्राइवेट सुइट में तैनात किया जाएगा।
साभार अमर उजाला