आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपल आईटी, आईएसएम धनबाद और जीएफटी में एडमिशन के ज्वाइंट एंट्रेंस टेस्ट (जेईई) मेन का अस्तित्व सत्र 2017-18 से खत्म हो जाएगा।
इसी सिलसिले में 20 फरवरी को ज्वाइंट एडमिशन बोर्ड (जैब) की मीटिंग हैदराबाद में बुलाई गई है। इसमें ज्वाइंट एंट्रेंस टेस्ट (जेईई) एडवांस के सभी चेयरमैन और आईआईटी के डायरेक्टर हिस्सा लेंगे।
साथ ही देश के प्रमुख इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी संस्थानों में एडमिशन की एक प्रवेश परीक्षा (जेईई एडवांस) पर फैसला करेंगे। एक अर्हताकारी परीक्षा पर भी फैसला संभव है, जिसका आयोजन साल में दो बार कराया जाना है।
अमेरिका के स्कूलॉस्टिक एप्टीट्यूड टेस्ट (सैट) की तरह ही देश के प्रमुख इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी संस्थानों में एडमिशन की एक व्यवस्था होगी। सत्र 2017-18 से ही साल में दो बार नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (एनएटी) कराया जाएगा।
इसमें फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स और अंग्रेजी के प्रश्न पूछे जाएंगे। जिन चार लाख स्टूडेंटों के स्कोर अच्छे होंगे, उन्हें जेईई एडवांस का पेपर देने का मौका मिलेगा। इसमें सफलता के बाद ही आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपल आईटी और जीएफटी में एडमिशन मिल सकेगा।
अभी एडवांस से सिर्फ आईआईटी की सीटें भरी जाती हैं। जेईई मेन की मेरिट से एनआईटी, ट्रिपल आईटी और जीएफटी की सीटें भरी जाती हैं लेकिन अगले सत्र से ऐसा नहीं होगा। सभी सीटें एडवांस से भरी जा सकेंगी।
एनएटी का जो फार्मेट मानव संसाधन विकास मंत्रालय को दिया है, उसका परीक्षण 20 फरवरी को जैब करेगी। गाइडलाइंस बनाकर टेस्ट में शामिल होने का फैसला लेगी। इस टेस्ट का आयोजन एक अथॉरिटी को करना है, जिसका गठन मंत्रालय से होगा। अथॉरिटी ही साल में दो बार एलिजिबिलिटी टेस्ट कराके स्कोर कार्ड जारी करेगा। स्कोर कार्ड धारक ही जेईई एडवांस का फार्म भरकर पेपर देंगे। – प्रो. एसएन सिंह, चेयरमैन, जेईई, आईआईटी कानपुर परिक्षेत्र
जैब ही आईआईटी की खाली सीटों को भरने का नया नियम बनाएगी। इस दिशा में काम शुरू हो गया है। सत्र 2017-18 का जेईई एडवांस कौन आईआईटी कराएगा, इस पर भी जैब की मुहर लगेगी।
क्या है जेईई मेन
जेईई मेन क्वालीफाई करने वालों को ही आईआईटी में एडमिशन का मौका मिल पाता है। इसमें सफल ढाई लाख स्टूडेंट जेईई एडवांस का फार्म भरते और पेपर देते हैं।
एडवांस में सफलता के बाद आईआईटी में एडमिशन होता है। सत्र 2016-17 में भी ऐसा होगा। जेईई मेन और बोर्ड मार्क्स को लेकर जो मेरिट बनती है, उससे एनआईटी, ट्रिपल आईटी और जीएफटी की सीटें भरी जाती हैं।
साभार अमर उजाला