बैरूत। लेबनान की राजधानी बैरूत में ‘फ़िलस्तीन वापसी के वैश्विक आंदोलन’ के आयोजन के मौक़े पर हमने कई लोगों से बात की। लोगों के बातचीत की तीसरी कड़ी में हम आपको मिलवा रहे हैं भारत, फ़िलस्तीन और नाइजीरिया के प्रतिभागियों से और जानने की कोशिश करते हैं कि फ़िलस्तीन के मुद्दे पर उनके क्या विचार हैं।

फ़िलस्तीन को समझने के लिए फ़िलस्तीनियों से मुलाक़ात- सैयद बाक़र
भारत के बंगलौर के निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता सैयद अली बाक़र ने कहाकि लेबनान के बैरूत में हो रही इस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हमें यह समझने में मदद मिल रही है कि वहाँ स्थितियाँ कैसी हैं। वह ‘फ़िलस्तीन वापसी के वैश्विक आंदोलन’ के चौथा महाआयोजन को सफल मानते हुए इसे बहुत उपयोगी बता रहे हैं। बाक़र ने कहाकि इस सम्मेलन में आप देखिए कि कैसे शहीद मुहम्मद अबू ख़ुबैर के पिता और अपना पाँव खो चुकी यास्मीन ने अपनी व्यथा बताई। बाक़र कहते हैं “इस जलसे से पास होने वाले एक भी प्रस्ताव पर गंभीरता से बात हो जाए तो यह बहुत बड़ा योगदान होगा। लोगों को यह संदेश जाएगा कि आप अपनी क्षमता के अनुरूप फ़िलस्तीन की मदद कर सकते हैं। यहाँ हर महाद्वीप के लोग हैं और फ़िलस्तीन के हवाले से अपने विचारों को बाँट रहे हैं। इस मायने में यह अधिवेशन बहुत सफल है।”
भारत और फ़िलस्तीन के संबंध के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सैयद बाक़र कहते हैं कि चीन के बाद हम दुनिया की दूसरी, सेना के लिहाज़ से चौथी और अर्थ व्यवस्था के हिसाब से नौवीं सबसे बड़ी ताक़त हैं। पूरा अरब के बदले एक भारत काफ़ी है। यही वजह है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी का समर्थन फ़िलस्तीन के लिए बहुत बड़ा समर्थन है।
हाल ही में भारत में इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू के दौरे को बाक़र महत्व नहीं देते और कहते हैं कि पीड़ित के साथ रहना भारत की प्रकृति का हिस्सा है। उन्होंने इस्राइल की भारत के फिल्म उद्योग में रुचि पर चुटकी लेते हुए कहाकि यह ध्यान भटकाने की कोशिश है और भारत का कोई बड़ा फ़िल्मी सितारा इस्राइल के साथ नहीं आया।

इस्राइली सैनिकों को महिला सम्मान नहीं पता- इसरा
सम्मेलन में पहली बार हिस्सा ले रही फ़िलस्तीनी मूल की लेबनानी शरणार्थी इसरा अलसफ़दी इस अधिवेशन से बहुत ख़ुश है। वह कहती हैं कि दुनिया भर के लोगों के फ़िलस्तीन को समर्थन को देखकर वह ख़ुश हैं। इस सम्मेलन से इस्राइल के बायकॉट और अलअक़्सा मस्जिद के मुद्दे को बल मिलेगा। लेबनान में ‘फ़िलस्तीन वापसी के वैश्विक आंदोलन’के चौथा महाआयोजन को वह काफ़ी कामयाब मानती हैं। महिलाओं की स्थिति पर इसरा का कहना है कि इस्राइली कुशासन के चलते फ़िलस्तीनी महिलाओं की स्थिति काफ़ी भयावह है। इस्राइली सैनिकों को औरतों की इज़्ज़त करना नहीं सिखाया जाता और आम तौर पर फ़िलस्तीनी महिलाओं की जाँच करते हुए वह हमारी बहुत बेइज़्ज़ती करते हैं। हिजाब और नक़ाब नोचना आम बात है। इस्राइली सैनिक अपनी बदतमीज़ी के लिए जाने जाते हैं।

फ़िलस्तीन सम्मेलन से आम हल पर बात होगी- सुहैला
नाइजीरिया की रहने वाली छात्रा सुहैला कहती हैं कि ‘फ़िलस्तीन वापसी के वैश्विक आंदोलन’ के चौथे महाआयोजन से कई अहम हल पर बात होती है। यह इस सम्मेलन का महत्वपूर्ण भाग है। वह कहती हैं कि नाइजीरिया में एक बड़ी आबादी रहती है लेकिन आनुपातिक रूप से फ़िलस्तीन मुद्दे की सभी को जानकारी नहीं है। इस तरह के आयोजन से फ़िलस्तीन के मुद्दे पर लोगों के बीच सूचना का प्रसार होगा। वह कहती हैं कि आप यह कह सकते हैं कि फ़िलस्तीन एक इस्लामी मुद्दा है लेकिन यह कहना होगा कि नाइजीरिया में कई अन्य समुदाय भी फ़िलस्तीन को इस मुद्दे पर समर्थन करते रहे हैं। वह मानती हैं कि नाइजीरिया में महिलाओं तक फ़िलस्तीन मुद्दे को पहुँचाने की ज़रूरत है क्योंकि महिलाएं फ़िलस्तीन की पीड़ा को बेहतर तरीक़े से समझ पाएंगी।