इसरायली हमलों ने ना घबराने और बेबाकी से सामने करने वाले फिलिस्तीनियों की कहानी की से छिपी नहीं है. फिलिस्तीनियों के जज़्बे को वैसे तो हर कोई सलाम करता है, लेकिन अब हाल ही में एक विकलांग फिलिस्तीनी के बेख़ौफ़ अंजाद को दुनिया का सबसे बड़ा अवार्ड दिया गया है. यह फ्रेंच पुरस्कार के 25 वें संस्करण का शीर्ष फोटो पुरस्कार फिलिस्तीनी फोटोजर्नलिस्ट, महमूद हैम्स को मिला है.
प्रेस टीवी के मुताबिक, अठारह वर्षीय हैम्स ने घेराबंदी गाजा पट्टी में एक व्हीलचेयर पर एक फिलीस्तीनी विरोधक की अपनी तस्वीर के लिए जीता, जो इज़राइल के साथ सीमा बाड़ के दूसरी तरफ इज़राइली सैनिकों में एक स्लिंगशॉट का उपयोग करके पत्थर फेककर खुद का बचाव करते नज़र आया.
https://t.co/ILmbBnn9JS
…comme l’actualité immédiate vient malheureusement de le montrer, sont la cible d’une armée d’occupation qui ne veut pas de témoignages des exactions.https://t.co/rfYjGyEK48 pic.twitter.com/HimFpdZWcL— ANDRE NICOLAS (@Andre001Nicolas) October 16, 2018
11 मई, 2018 को ली गई विजेता तस्वीर, जिसमें साबर अल-अशकार, 29 वर्षीय ने पैरों के साथ, साप्ताहिक “द ग्रेट मार्च ऑफ रिटर्न” विरोध के हिस्से के रूप में इजराइल के खिलाफ प्रदर्शन जारी है. विरोध प्रदर्शन पर इजरायली सेना के क्रैकडाउन में 200 से ज्यादा फिलिस्तीन मारे गए और हजारों घायल हो गए.
Iconic photo of a disabled Palestinian protestor taking part in the Great March of Return in Gaza wins a prestigious photojournalism prize at the Bayeux Calvados-Normandy Award for war correspondents on Saturday. #FreePalestine pic.twitter.com/oU0Xf6HqXl
— Press TV UK (@Presstvuk) October 15, 2018
गाजा के निवासी हम्स फ्रांसीसी समाचार एजेंसी, एएफपी के लिए काम करते हैं, और गाजा में कई संघर्ष और प्रदर्शन शामिल थे.