ब्रिटेन की राजधानी लन्दन में म्यांमार में हो रहे रोहिंग्या मुस्लिमों पर जुल्म के खिलाफ इस्लामी मानवाधिकार आयोग ने चिंता जताई हैं. साथ ही दुनिया भर के लोगों से रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में आगे आने की अपील की हैं.
लन्दन में स्लामी मानवाधिकार आयोग के सदस्य Massoud Shadjareh ने कहा कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर जुल्म इस हद तक बढ़ चूका हैं कि आने वाले समय में म्यांमार को रोहिंग्या मुसलमानों के जातीय सफाई के लिए जाना जाएगा.
उन्होंने प्रेस टीवी से कहा कि इसमें कोई शक नहीं हैं कि दुनिया भर में सबसे ज्यादा म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों को सताया जा रहा हैं. इसकी पुष्टि सयुंक्त राष्ट्र द्वारा भी की जा चुकी हैं. लेकिन अब उनकी दुर्दशा को सयुंक्त राष्ट्र के सदस्य देश और पश्चिम के देश भी भुला चुके हैं. साथ ही उन्होंने इस मामलें में इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) द्वारा कोई कदम नहीं उठाये जाने पर नाराजगी जाहिर की.
Massoud Shadjareh ने आगे कहा म्यांमार की नेता आंग सान सू ची भी अपने ही देश में मुसलमानों के जातीय सफाई की प्रक्रिया में एक हिस्सा बनी हुई हैं. उन्होंने कहा हमने दुनिया के किसी भी हिस्सें में बम ब्लास्ट या आतंकी हमलों की निंदा की चाहे वह पेरिस सहित दुनिया के किसी भी हिस्सें में चाहे वह यूरोपीय या पश्चिमी गोलार्द्ध हो.
लेकिन हम एक व्यवस्थित तरीकें से कत्लेआम को देख रहे हैं. जहाँ पर मुसलमानों का क़त्ल किया जा रहा हैं, बलात्कार किया जा रहा हैं. लेकिन इस दौरान पश्चिम के देशों की सरकारों सहित इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) के सदस्यों में भी कानाफूसी नहीं देखने को मिली हैं.
उन्होंने कहा, यह स्पष्ट रूप से पश्चिम की राजनीति से पता चलता है हैं कि यह इस्लामोफोबिया और मुसलमानों के खिलाफ नफरत के स्तर का एक परिणाम हैं. उन्होंने कहा कि अन्तराष्ट्रीय समुदाय के लिए कोई फर्क नहीं पड़ता हैं कि मुसलमान मर रहे हैं. उनके बच्चे मर रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा रोहिंग्या मुसलमानों की दुर्दशा देखने के बाद हमे उनके न्याय और कल्याण के लिए खड़े हो जाना चाहिए क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, नेताओं और सरकारे अयोग्य” हैं और वे कुछ भी नहीं कर सकती.