अमरीकी सांसदों ने भारत में हिंदू कट्टरपंथी संगठनों द्वारा हो रही हिंसक घटनाओं की निंदा करते हुए कहा कि भारत में धार्मिक सहनशीलता की स्थिति ख़राब होने के साथ ही धार्मिक स्वतंत्रता का हनन तेज़ी से बढ़ रहा है. अमरीकी कांग्रेस की बैठक में राबर्ट पी जार्ज और मैककार्मिक ने भारत में धार्मिक सहनशीलता की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बहुलतावादी भारतीय लोकतंत्र में इस समय अल्पसंख्यकों विशेष रूप से ईसाइसों, मुस्लिमों और सिखों को हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों के हाथों हिंसा की अनेक घटनाओं का सामना करना पड़ा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ताधारी बीजेपी सरकार के नेताओं ने इन संगठनों का समर्थन किया और तनाव भड़काने के लिए धार्मिक रूप से विभाजनकारी भाषा का प्रयोग किया. जार्ज ने अमरीकी सांसदों से कहा कि इन मुद्दों के साथ ही भारत की पुलिस और न्याय व्यवस्था की कमियों के चलते एसा वातावरण उत्पन्न हुआ है जिसमें धार्मिक अल्पसंख्यक ख़ुद को बहुत अधिक सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं और उन्हें आशंका रहती है कि धार्मिक रूप से प्रेरित अपराधिक घटनाएं कभी भी घट सकती हैं.
उन्होंने आगे कहा कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें एसे क़ानून लागू कर रही हैं जिनसे कोई अपना धर्म न बदल सके और एनजीओज़ को विदेशों से पैसा न मिले. जार्ज ने कहा कि भारतीय संवैधानिक प्रावधान जिसके तहत सिखों, बुद्धिस्टों और जैन धर्म के लोगों को हिंदू कहा जाता है वह वह धार्मिक और आस्था की स्वतंत्रता के अंतर्राष्ट्रीय मानकों से विरोधाभास रखता है.
उन्होंने कहा कि विदेशों से सहायता प्राप्त करने वाली एनजीओज़ को इस समय भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और अप्रैल 2015 में गृह मंत्रालय ने लगभग 9 हज़ार कल्याणकारी संस्थाओं के लाइसेंस रद्द कर दिए. जार्ज ने कहा कि उदाहरण स्वरूप सबरंग ट्रस्ट और सिटीज़न फ़ार जस्टिस एंड पीस जो गुजरात दंगों के मुक़द्दमों में मदद कर रहे थे उनका पंजीकरण रद्द कर दिय गया है