
म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के जारी जनसंहार पर आखिर सयुंक्त राष्ट्र संघ को भी हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना ही पड़ा हैं. सयुंक्त राष्ट्र संघ की और से अपने प्रतिनिधि के रूप में यांग ली को 12 दिन के लिए म्यांमार भेजा हैं.
रोयटर्ज़ के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्टर यांग ली रविवार को यांगून पहुंचीं. वे पश्चिमोत्तर अराकान में, जहां अक्टूबर के बाद से ही रोहिंग्या मुसलमानों को फांसी, बलात्कार, आगजनी और अन्य हमलों का सामना करना पड़ रहा हैं. म्यांमार में, ली ने पहले अपने एक बयान में कहा था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मानव अधिकारों की स्थिति की निगरानी में सतर्क रहना चाहिए”
12 दिनों की यात्रा में यांग ली राख़ीन राज्य, आर्थिक राजधानी यांगून, म्यांमार की राजधानी नायपीदा और उत्तरी राज्य काचीन का दौरा करेंगी जहां सेना काचीन जाति के छापामारों के ख़िलाफ़ कार्यवाही कर रही हैं। ये छापामार स्वाधीनता चाहते हैं. राष्ट्रपति के प्रवक्ता Zaw Htay ने कहा कि सरकार संघर्ष ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करने के लिए उन्हें पूरी सुरक्षा प्रदान करेगी.
Rohingya young boy is being beating by Rakhine buddist in arakan state myanmar. where is rohingya land? Everyday is only investigate. pic.twitter.com/RXVDEJL0iF
— Mg Kyawlin (@MKyawlin) December 22, 2016
ली ने राखिने में सैन्य कार्रवाई को “अस्वीकार्य” करार देते हुए कहा कि सैनिकों द्वारा मुस्लिम अल्पसंख्यकों के सदस्यों के साथ बलात्कार, हत्या और उन्हें यातना देने की रिपोर्टो की जांच करना आवश्यक था.
संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, म्यांमार में 86 रोहिंग्या मुसलमानों का जनसंहार हो चुका है और 34000 रोहिंग्या मुसलमान, जो म्यांमार में अल्पसंख्यक हैं, अपना घर-बार छोड़ कर बांग्लादेश फ़रार होने पर मजबूर हुए हैं.