तुर्की ने एक सौ साल पहले “अर्मेनियाई न’रसंहा’र” की अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की आधिकारिक मान्यता को खारिज कर दिया था, यह चेतावनी देते हुए कि अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए “बेहद नाजुक समय में” संबंधों को नुकसान पहुंचाता है।
बता दें कि मंगलवार को सदन ने ओटोमन तुर्क द्वारा अर्मेनियाई लोगों की ह*त्या से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी। बयान में कहा गया है, “संकल्प स्वयं भी कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है।”
बुधवार की सुबह, तुर्की ने प्रस्ताव पर अमेरिकी राजदूत को तलब किया। तुर्की के विदेश मंत्री मेव्लुट कैवुसोग्लू ने मंगलवार के मतदान की निंदा करते हुए कहा कि यह “अशक्त और शून्य” है।
Ruined big game
w/#OperationPeaceSpring. Those whose projects were frustrated turn to antiquated resolutions.Circles believing that they will take revenge this way are mistaken.This shameful decision of those exploiting history in politics is null&void for our Government&people.— Mevlüt Çavuşoğlu (@MevlutCavusoglu) October 29, 2019
आर्मेनिया के प्रधान मंत्री निकोल पशिनियन ने सदन के इस कदम की सराहना करते हुए ट्वीट किया, “यह सच और ऐतिहासिक # अन्याय की सेवा के लिए साहसिक कदम था जो आर्मेनियाई नरसंहार के लाखों वंशजों को भी आराम देता है”।
इस पूरे मामले को तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोआन ने बकवास करार दिया। उन्होने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की आलोचना की। एर्दोआन ने कहा, अमेरिकी सदन द्वारा उठाया गया कदम बेकार है, इतिहासकारों को राजनेताओं के बजाय ऐसे मामलों पर फैसला करना चाहिए।