इंचियोन (दक्षिण कोरिया): दुनिया का प्रमुख तेल उत्पादक देश सऊदी अरब जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की एक अहम रिपोर्ट को स्वीकार किए जाने में बाधा डालने की कोशिश रहा है। उसकी मांग है कि रिपोर्ट में उल्लेखित कार्बन के उत्सर्जन को कम करने का संकल्प लेने वाले अंश को या तो हटाया जाए या उसे संशोधित किया जाए।
दक्षिण कोरिया के इंचियोन में 195 सदस्य देशों वाले ‘इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ (आईपीसीसी) की बैठक में इस अहम रिपोर्ट पर मंथन किया जा रहा है, जिसमें ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के रास्ते तलाशे जा रहे हैं। इन रास्तों में जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को काफी कम करना शामिल है जिसका सऊदी अरब बड़ा निर्यातक है।
एक पर्यवेक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘‘ हम इस बात को लेकर बहुत फिक्रमंद हैं कि एक देश धमकी दे रहा है कि अगर उसकी मांग के अनुरूप वैज्ञानिक पड़तालों को बदला नहीं जाता है या हटाया नहीं जाता है तो वह आईपीसीसी विशेष रिपोर्ट को स्वीकार करने नहीं देगा।’’

बैठक में हिस्सा ले रहे एक प्रतिभागी ने भी नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि यह बड़े तेल उत्पादक देश सऊदी अरब और विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहे छोटे द्वीप राष्ट्रों के बीच की लड़ाई बन गई है। बैठक के अध्यक्ष ने शनिवार को कहा कि इस रिपोर्ट में संतुलन रखा गया है।
सऊदी अरब के अधिकारियों ने उनकी टिप्पणी के लिए भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं दिया। बंद कमरे हुई बैठक में उनके प्रतिनिधियों तक पहुंचा नहीं जा सका। आईपीसीसी के सहमति नियमों के तहत, सभी देशों को 20 पन्नों की ‘समरी फॉर पोलिसीमेकर्स’ की