सरकार संचालित सऊदी प्रेस एजेंसी की ओर से जारी की गई सूची में मौलवी का नाम शामिल है। एजेंसी ने गृह मंत्रालय के हवाले से यह सूचना दी है। सरकारी टीवी चैनल ने भी इन लोगों को मौत की सजा की खबर दी है।
2011 में अरब सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों का शेख निम्र ने खुलेआम समर्थन किया था। शिया लोगों के प्रदर्शन के दौरान अल-निम्र ने अहम भूमिका निभाई थी। इस फांसी के बाद अल्पसंख्यक शिया समुदाय में फिर से अशांति फैल सकती है। शेख निम्र उन 47 लोगों में थे जिन पर चरमपंथ के आरोप थे।
दो साल पहले शेख की गिरफ्तारी के दौरान शिया समुदाय में असंतोष फैल गया था। उनकी फांसी पर पिछले साल अक्टूबर में मोहर लगाई गई थी।
सउदी अरब में 2015 में 157 लोगों को सजा-ए-मौत: सऊदी अरब में वर्ष 2015 में कम से कम 157 लोगों का सिर कलम कर उन्हें सजा-ए-मौत दी गई। यह सल्तनत में दो दशक में सजाए मौत का सर्वाधिक आंकड़ा है। यह आंकड़ा कई मानवाधिकार समूहों का है जो विश्वभर में मौत की सजा पर नजर रखते हैं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने नवंबर में कहा कि वर्ष की शुरूआत से कम से कम 63 लोगों को मादक पदार्थ संबंधी अपराधों के लिए मौत की सजा दी गई। यह आंकड़ा 2015 में मौत की कुल सजाओं का 40 प्रतिशत है। एमनेस्टी ने कहा कि 1995 के बाद से सउदी अरब में सजाए मौत का यह सर्वाधिक आंकड़ा है। 1995 में 192 लोगों को मौत की सजा दी गई थी।