क्या हजारो साल पहले हुई थी दमिश्क की तबाही की भविष्यवाणी ?

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ईसापूर्व 687 के आसपास जब यहूदियों के पैगंबर इसाया ने अपनी किताब लिखनी शुरू की होगी, तब शायद उन्हें अंदाज़ा भी नहीं होगा कि 28 सदियों बाद वो सोशल मीडिया पर छिड़ी एक बहस के केंद्र में होंगे।

हाल के दिनों में ब्राज़ील के सोशल मीडिया पर कुछ वायरल पोस्ट के अनुसार पैगंबर ने ईसा पूर्व 7वीं सदी में इसराइल से जुड़ी एक महत्वपूर्ण भविष्यवाणी की थी। जिसमें साफ़ कहा गया था सीरिया गृहयुद्ध की चपेट में आ जाएगा।

सही शब्दों में कहें तो पैगंबर इसाया ने भविष्यवाणी की थी कि दमिश्क शहर ज़मींदोज़ हो जाएगा.बाइबल के ओल्ड टेस्टामेंन्ट के इसाया में दिए गए 17वें अध्याय के पहले छंद के अनुसार पैगंबर ने लिखा था, “दमिश्क तब शहर नहीं रहेगा, वो मलबे के ढेर में तब्दील हो जाएगा।

सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे पोस्ट में येरमिया का भी ज़िक्र किया जा रहा है जिसके अनुसार, “दमिश्क शक्तिहीन हो जाता है और बचने की कोशिश करता है, वो डरा हुआ है, वो दर्द में है ठीक उसी औरत की तरह को बच्चे को जन्म देने वाली है।

क्या वाकई ऐसा हो सकता है कि हज़ारों साल पहले की गई इसाया और येरमिया की भविष्यवाणियां अब सच हो रही हैं? या फिर जो लोग पवित्र ग्रंथों के बारे में नहीं जानते, वो लोग धर्म के नाम पर हो रही हिंसा को सही ठहराने के लिए इन ग्रंथों का ग़लत इस्तेमाल कर रहे हैं?रियो डी जेनेरो के पॉन्टिफिशिल कैथोलिक युनिवर्सिटी (पीयूसी) में धर्मशास्त्र के प्रोफेसर फ़्रेर इज़ीडोरो माज़ोरोलो कहते हैं, “अगर मैं ये कहता हूं कि सीरिया में जो युद्ध की स्थिति है वो पैगंबर इसाया की भविष्यवाणी के कारण है और इस नरसंहार के पीछे वही हैं तो इसका मतलब होगा कि मैं कह रहा हूं कि इस स्थिति को बदलने के लिए मैं कुछ भी नहीं कर सकता क्योंकि ये ईश्वर की इच्छा है।

साओ पालो के एंजेलिकन डायोसीस के होली ट्रिनिटी कैथलिक चर्च के पादरी आर्थर नासिमेन्टो कहते हैं, “हम अपनी ज़िम्मेदारियां ईश्वर के कंधों पर नहीं धकेल सकते। ये हमारा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का काम है कि हम सीरिया में चल रहे घमासान को ख़त्म करने का कोई रास्ता तलाश करें।

वो कहते हैं कि पवित्र ग्रंथों में लिखी गई बातों का मतलब समझने में सावधानी बरती जानी चाहिए, “इतिहास को आधार बना कर बाइबल लिखा गया था। बाइबल में लिखे गए शब्दों को उनके अर्थ से अलग करके देखना बेहद ख़तरनाक हो सकता है।

नासिमेन्टो कहते हैं कि ऐसा करने पर आप इन पवित्र ग्रंथों के आधार पर नस्लीय भेदभाव से ले कर LGBT के प्रति भेदभाव को भी सही साबित करने लगेंगे.पैगंबर की भूमिका लोकप्रिय धारणा के विपरीत पैगंबर वो नहीं होता जो भविष्यवाणियां करता है या जो भविष्य देख सकता है, पैगंबर वो होता है जो वर्तमान हालात को चुनौती देता है।

उस समय इसाया ने कई चीज़ों की निंदा की थी, जैसे राजनीतिक भ्रष्टाचार, सामाजिक-आर्थिक असमानता, कामगारों का शोषण इतिहासकार कहते हैं, “इसाया ने दमिश्क की तबाही का जो ज़िक्र किया था वो ईसापूर्व 732 में घटी घटना के आधार पर था।

हज़ारों साल पहले उस वक्त इसराइल देश (इफ्राइम) और अरम देश (दमिश्क) असीरिया के ख़िलाफ़ लड़ाई में एक साथ आ गए थे। अध्याय 17 में जो कहा गया है वो 21वीं सदी में सीरिया की तबाही के बारे में नहीं कहा गया है। बल्कि पैगंबर इसाया ने इस गठबंधन की हार के बारे में कहा था और दमिश्क की तबाही की चिंता जताई थी। दस साल के बाद असीरिया की सेना ने इसराइल की राजधानी समारिया (ये प्राचीन शहर ईसा पूर्व 8वीं-9वीं सदी में इसराइल की राजधानी थी) पर कब्ज़ा कर लिया था।

ब्राज़ील के इवैन्जेलिकल लुथेरन चर्च के अध्यक्ष पादरी एगोन कोपेरेक कहते हैं, “इसाया की भविष्यवाणी को आज सीरिया में जो कुछ हो रहा है उससे जोड़ के देखना धर्म का फायदा उठाने जैसा है। ये व्याख्या वो कट्टरपंथी करते हैं जो ईसाई लोगों के भीतर घबराहट पैदा करना चाहते हैं। “नरसंहार के बारे में अफवाहे।

बाइबल में की गई भविष्यवाणी के साथ सैन्य झड़पों को जोड़ कर देखने की अफवाहें वर्चुल दुनिया में नई नहीं हैं। समय-समय पर कोई ना कोई नई अफवाह सामने आ जाती है जो नरसंहार की घटनाओं को बाइबल में की गई भविष्यवाणी के पूरे होने से जोड़ देती है।

इसाया की भविष्यवाणी का अंग्रेजी संस्करण जो अभी ब्राज़ील में चर्चा के विषय बना हुआ है साल 2013 में यूरोप में चर्चा में आया था।

एक अन्य उदाहरण है ल्यूक्स के गॉस्पेल के अध्याय 23 का 28वां छंद

नए टेस्टामेन्ट में दिए गए इस छंद में यीशु ने अपने पीछे रोती-छाती पीटती और विलाप करती आ रही औरतों से कहा, “हे येरूशलम की महिलाओं, मेरे लिए मत रोओ परन्तु अपने और अपने बालकों के लिए रोओ। यीशू कहते हैं, “वो औरतें धन्य हैं जिनके पास बच्चे नहीं हैं, जिनके पेट से कभी बच्चा नहीं जन्मा और जिन्होंने कभी अपने बच्चे को दूध नहीं पिलाया।”कईयों के इस छंद की व्याख्या की और इसे नाज़ी नरसंहार के साथ जोड़ दिया और विश्व युद्ध के दौरान 60 लाख यहूदियों के मारे जाने को इसका सच होना बताया।

नेशनल काऊंसिल ऑफ़ द क्रिश्चियन चर्चेज़ ऑफ़ ब्राज़ील के महासचिव पादरी रोमी मार्सिया बेंके सीरिया में हो रहे युद्ध का पैगंबर की भविष्यवाणी के बारे में कहते हैं, “गॉस्पेल में जैसा बताया गया है यीशू को यहूदियों के नरसंहार की भविष्यवाणी के लिए ज़िम्मेदार बताना सही नहीं है। ये किसी व्यक्ति या समूह की मौत की निंदा नहीं करने जैसा है। यीशू ने येरूशलम की आलोचना की जो मंदिर के संबंध में था, जो ना केवल धार्मिक केंद्र था बल्कि राजनीतिक और आर्थिक केंद्र भी था।

सीरिया में साल 2011 से चल रहे गृह युद्ध में अब तक 4.7 लोग मारे जा चुके हैं, और 50 लाख लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है, उसके बारे में आप आज क्या कहेंगे।

पादरी आर्थर नासिमेन्टो कहते हैं, “बाइबल को केवल एक धर्म ग्रंथ की तरह पढ़ कर उसका काल्पनिक और ….anachronistic मतलब नहीं निकालना चहिए. हमें सीरियाई लोगों के ख़िलाफ़ क्रूरता और हिंसा करने वालों की आलोचना करनी चाहिए।

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