संघीय नेशनल काउंसिल के सदस्यों ने मंगलवार को संयुक्त अरब अमीरात के मस्जिदों में इमारत, रखरखाव और धार्मिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए एक कानून पारित किया है, जिसमे कहा गया है की इस्लामी अधिकारीयों की अनुमति के बिना कोई भी धार्मिक क्रियाएँ जैसे धार्मिक पाठ, धार्मिक किताबों का वितरण नहीं किया जा सकता है.
संयुक्त अरब अमीरात में कोई व्यक्ति अगर धार्मिक व्याख्यान का पाठ, सामाजिक समारोह अधिकारीयों की अनुमति के बिना करता है तो उसे जेल की सजा होगी और जुर्माना भुगतना पड़ेगा.
नए कानून में किसी व्यक्ति को काम करने के लिए, धार्मिक पुस्तकालयों को दान या सहायता एकत्रित करने के लिए किसी भी व्यक्ति को इस्लामिक मामलों के जनरल अथॉरिटी और एंडॉमेंट्स से अनुमति लेनी पड़ेगी. जो लोग नए कानून का पालन नहीं करते हैं, उन्हें जेल में तीन महीने तक सामना करना पड़ सकता है या Dh20,000 तक का जुर्माना लग सकता है.
FNC ने मस्जिदों के नियमन और देखभाल पर संघीय कानून को मंजूरी दे दी है.
एफएनसी के सदस्यों ने जोर दिया कि केवल योग्य कर्मचारियों को मस्जिदों में काम करना चाहिए और उस व्यक्ति को प्रतिबंधित किया जायेगा अगर कोई बिना किसी लाइसेंस के मस्जिद के बाहर कुरान पढ़ाता है किसी को या फिर फतवा लहराता है.
जब भी इमाम दुआ के लिए बुला रहे हों और जो इमाम के साथ हस्तक्षेप करते हैं उनको Dh5,000 का जुर्माना पड़ सकता है.
इसके अलावा मस्जिद में काम कर रहे कर्मचारियों पर भी चर्चा हुई.
FNC के सदस्यों ने तर्क दिया कि मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा वेतन नियमन सभी मस्जिद कर्मचारियों पर लागू होना चाहिए, हालांकि, इस्लामिक मामलों के जनरल अथॉरिटी के अध्यक्ष डॉ मोहम्मद मटर अल काबी ने कहा की कुछ मस्जिद के मालिक खुशी खुशी अपनी पसंदीदा वेतन देते हैं तो मंत्रालय ने क्यों वेतन DH6,300 किया है.
उन्होंने पुछा “एक मस्जिद मालिक एक इमाम DH20,000 का भुगतान करना चाहता है, तो उसका वेतन DH6,300 के लिए क्यों है?”