ईरानियन धर्मगुरु अयातोल्लाह मोहसिन घोमी ने कहा कि 70 देशों के लोगों ने इमाम हुसैन के चेहलुम की रस्म रिवाज पूरी करने के लिए कर्बला की यात्रा की।
उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ईसाई और सुन्नी लोगों ने भी यह यात्रा की। इतने ज्यादा देशों के नागरिकों के कर्बला की यात्रा करने पर सुप्रीम लीडर के इंटरनेशनल कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के उप निदेशक ने कहा कि इंसानियत का इमाम हुसैन का एक अटूट वास्ता है। लोग धर्मों से ऊपर उठ कर इमाम हुसैन की शहादत का सम्मान करते हैं।
सुप्रीम लीडर के रिप्रेजेन्टेटिव अली ग़ाज़ी अस्कर ने कहा कि “इमाम हुसैन का चेहलुम” दमन और साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक है, उन्होंने कहा कि कर्बला की यह यात्रा शिया और सुन्नियों में एकता का प्रतीक बन सकती है।
अशूरा के 40 दिन बाद इमाम हुसैन के चेहलुम की यात्रा की जाती है। 1400 साल पहले इसी दिन कर्बला की रेगिस्तान में इमाम हुसैन और उनके परिवार वालों की शहादत हुई थी। इस दिन दुनिया भर के लोग इमाम हुसैन को याद करते हैं।