अल-क़ुद्स यानि जेरुसलम को लेकर 57 सदस्यीय संगठन इस्लामी सम्मेलन (ओआईसी) की बैठक आज तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित होने जा रही है. ये बैठक तुर्की राष्ट्रपति रजब तैय्यब एर्दोगान की सदारत में होने जा रही है.
बैठक में शामिल होने के लिए मंगलवार को ही मुस्लिम देशों के प्रमुख और प्रतिनिधि इस्तांबुल पहुँच चुके है. ओईसी के अध्यक्ष पद का इस्तेमाल करते हुए तुर्की राष्ट्रपति आज इस्तांबुल घोषणा के शीर्षक के तहत जेरुसलम पर मुस्लिम देशों की संयुक्त स्थिति की घोषणा करेंगे.
ध्यान रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 1995 के जेरूसलम दूतावास अधिनियम के अनुसार, अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरूशलेम तक स्थानांतरित करने के लिए अमेरिकी विदेश विभाग को आदेश दिया है. साथ ही यरूशलेम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दी है.
इस बैठक में प्रमुख रूप से फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास, जॉर्डन किंग अब्दुल्ला द्वितीय, अज़रबेजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयव, बांग्लादेशी राष्ट्रपति अब्दुल हामिद और ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी सहित राज्य के 22 प्रमुख उपस्थित रहेंगे.
इसके अलावा मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, मोरक्को और कजाखस्तान सहित 25 देशों के विदेश मंत्री शामिल होंगे. सऊदी अरब का प्रतिनिधित्व इस्लामी मामलों के मंत्री सलीह बिन अब्दुलअजीज़ अल-शेख करेंगे.
सुबह के सत्र में, ओआईसी देशों के विदेश मंत्री एक साथ आकर चर्चा करेंगे ताकि राष्ट्रपतियों और राज्यों और सरकारों के प्रमुख को हाल की घटनाओं पर की गई जमीनी कार्रवाई की पूर्ण जानकारी पहले ही मिल जाए.
तुर्की के विदेश मंत्री 2 नवंबर को निजी प्रसारक NTV पर पहले ही कह चुके है कि कुछ अरब देश अमेरिका के डर से ट्रम्प के फैसले का विरोध करने में असफल रहे. हालांकि 13 दिसंबर को इस्तांबुल में ओईसी शिखर सम्मेलन से जेरूसलम पर एक “मजबूत जवाब” उभर आएगा.