
अमेरिका के नक्शेकदम पर चलते हुए ग्वाटेमाला पहले ही अपने दूतावास को जेरुसलम शिफ्ट करने का फैसला कर चूका है. लेकिन अब दुनिया भर के विरोध के बावजूद वह अपने फैसले से पीछे हटने के बजाय अड़ियल रुख अपना चूका है.
ग्वाटेमाला की विदेश मंत्री ने कहा है कि इस्राइल स्थित देश के दूतावास को यरुशलम ले जाने के राष्ट्रपति जिमी मोराल्स का फैसला वापस नहीं लिया जाएगा.
विदेश मंत्री सैंड्रा जॉवेल ने वर्ष 1996 में ग्वाटेमाला गृह युद्ध के समाप्त होने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में पत्रकारों से कहा, ‘‘फैसला लिया जा चुका है….और इसे बदला नहीं जा रहा है.’’
फलस्तीनी लोगों सहित दुनिया के कई देशों द्वारा इस कदम की आलोचना पर सैंड्रा ने कहा, ‘‘ग्वाटेमाला सरकार दूसरे देशों द्वारा इस मुद्दे पर लिए गए फैसले का सम्मान करती है और हमारा मानना है कि दूसरे देशों को भी ग्वाटेमाला के फैसले का सम्मान करना चाहिए.’’
ध्यान रहे राष्ट्रपति मोराल्स ने पिछले रविवार को अप्रत्याशित तरीके से अपने देश का दूतावास इस्राइल के तेल अवीव से स्थानांतरित करके यरुशलम ले जाने का फैसला किया था.
मोराल्स का यह फैसला ऐसे समय में आया था जब पहले ही संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम की आलोचना में तुर्की-प्रायोजित संकल्प पत्र का 128 देशों ने वोट देकर समर्थन किया था. सिर्फ 9 देश ही इस संकल्प पत्र के खिलाफ थे.