सीरिया: भूख से मरने की कगार पर चार लाख लोग

दमिष्क सीरिया में दमिष्क के बाहरी इलाका मडाया और इदलिब प्रांत के दो अन्य शहरों के अलावा कुल 15 इलाकों में अनुमान के मुताबिक चार लाख लोग घेरेबंदी में जी रहे हैं। यूएन के मुताबिक ये चार लाख लोग भूख से तड़प रहे हैं। यूएन ने कहा कि सहायता एजेंसियां इनके पास भोजन पहुंचाने की तैयारी कर रही है। इन इलाकों में भोजन की सप्लाई के लिए अनुमति मिल गई है। फिलहाल ये इलाके सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद की वफादार आर्मी से घिरे हैं। दूसरी तरफ इदलिब में फोउआ और केफ्राया गांवों के लोग विद्रोही लड़ाकों से घिरे हैं।

भूख से मर रहे लोगघेरेबंदी सीरियन सरकार और लेबनानी हिजहुल्लाह ग्रुप की तरफ से है। अनुमान के मुताबिक मडाया में 42,000 लोगों के पास खाद्य सामग्री नहीं पहुंच रही है। इस हालत में अब तक भूख से 23 लोगों की मौत हो चुकी है।

व्यापक पैमाने पर रिपोर्ट आ रही है कि इन इलाकों में कुपोषण संक्रमण की तरह फैल रहा है। कुछ रिपोर्ट ऐसी भी आ रही है कि मडाया के निवासी जिंदा रहने के लिए घास खा रहे हैं। केफ्राया और फोउवा में 12,500 लोग किसी भी तरह की आपूर्ति से महरूम हो गए हैं। 26 दिसंबर को सीरियन सुरक्षा बलों ने चेकपॉइंट लगाकर मोअडामियाह सड़क को ब्लॉक कर दिया था। विद्रोहियों के कब्जे वाले दमिष्क के इन बाहरी इलाकों में सीरिया की बशर अल-असद सरकार ने हथियार डालने की मांग की है।

विपक्ष के समर्थन वाले ग्रुप द्वारा चलाए जा रहे मोअडामियाह मीडिया ऑफिस का अनुमान है कि 45,000 नागरिक दो हफ्ते से ज्यादा वक्त से यहां फंसे हुए हैं। ऑर्गेनाइजेशन ने शनिवार को कहा कि घेरेबंदी की शुरुआत 2013 में हुई थी। इसका नतीजा यह हुआ कि भूख से लोगों की मौत होने लगी। दवाइयों की सप्लाई भी बंद है। इस कारण भी मौतें हो रही हैं। 10 जनवरी को भूख के कारण आठ महीने के एक बच्चे की मौत हो गई थी। मोअडामियाह बेस्ड मीडिया ऐक्टिविस्ट दानी कब्बानी ने कहा कि बच्चों की मौत असद की सेना के कारण हो रही है क्योंकि उन्होंने सारी सप्लाई बंद कर रखी है।

उन्होंने अलजजीरा से कहा, ‘वे यहां इनकी मदद नहीं कर सकते। शहरों के हॉस्पिटलों में हमें नहीं जाने दे रहे हैं। असद के चेकपॉइंट्स पर परिवारों को दमिष्क के हॉस्पिटलों में जाने से रोक दिया जा रहा है। यदि अगले हफ्ते तक भी स्थिति यही रही तो 45,000 लोगों के लिए आपदाजनक स्थिति होगी। यहां के स्थानीय लोग बुरी तरह से डरे हुए हैं।’ लंदन बेस्ड विश्लेषक शरीफ नशाशिबी ने कहा, ‘सीरिया ने घेरेबंदी विद्रोहियों की कमर तोड़ने के लिए किया है लेकिन इसका प्रभाव नागरिकों पर भी बुरा पड़ रहा है।’

उन्होंने कहा, ‘घेराबंदी केवल लड़ाकों को काबू में करने के लिए ही नहीं है बल्कि इसका प्रभाव सीरिया के आम नागरिकों पर व्यापक पैमाने पर पड़ रहा है। यह नाकेबंदी एक युद्धअपराध है। सरकार नागरिकों को सामूहिक रूप से दंडित कर रही है क्योंकि उन इलाकों में उनके दुःश्मन मौजूद हैं।’ साभार: नवभारत टाइम्स

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