अब सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद को सत्ता से हटाने की खातिर तुर्की सीमा पार अपनी सेनाएं भेजने की तैयारी कर रहा है और इस तरह एक बार फिर उसने संसार के लिए युद्ध का खतरा खड़ा कर दिया है|
अंकारा का यह आक्रामक रवैया कहीं तो इस विश्वास पर आधारित लगता है कि टकराव होने पर नाटो में उसके साथी देश उसका समर्थन करेंगे| नाटो संधि की धारा 5 के अनुसार किसी भी सदस्य देश पर हमला होने की स्थिति में सामूहिक रक्षा का अनुच्छेद लागू होता है|
परन्तु यूरोपीय नेताओं ने एकदम स्पष्ट किया है कि तुर्की द्वारा छेड़ी गई लड़ाई में शामिल होने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है|
लक्समबर्ग के विदेश मंत्री जीन एस्सलबोर्न ने ‘दिर श्पीगल’ पत्रिका को दिये साक्षात्कार में यह कहा है कि“नाटो इस बात की इजाज़त नहीं दे सकता कि रूस और तुर्की के बीच हाल ही के तनावों के कारण उसे सैनिक टकराव में घसीटा जाए”|
धारा 5 के बारे में एस्सलबोर्न ने कहा कि “यह गारंटी उस मामले में लागू होती है जबकि किसी सदस्य देश पर स्पष्टतः हमला किया गया हो”| लगता है, जर्मनी भी इस बात से सहमत है|
एक जर्मन राजनयिक ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा है: “तुर्कों द्वारा शुरू की गई लड़ाई की कीमत हम नहीं चुकाएंगे”|
तुर्की द्वारा रूसी विमान गिराये जाने के बाद भी नाटो के नेतृत्व ने ऐसी ही चेतावनियां दी थीं|
नाटो के महासचिव जेंस स्टोल्टनबर्ग ने तब कहा था:
“हमें ऐसी स्थितियों, वारदातों और हादसों से बचना है जो हमारे नियंत्रण से बाहर हैं| मेरे विचार में मैंने बिलकुल स्पष्ट कर दिया है कि हम शांत रहने और तनाव कम करने की अपील कर रहे हैं| यह बड़ी गंभीर स्थिति है”|
शुक्रवार को फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने मास्को और अंकारा के बीच टकराव को और नहीं बढ़ने देने की आवश्यकता पर बल दिया है|