पाकिस्तान हमेशा से ही अल्पसंखयक हिन्दू समुदाय को लेकर विवादों में रहा है। लेकिन बीते कुछ सालों से पाकिस्तान ने अपनी इस नकारात्मक छवि को काफी हद तक बदल डाला है। हाल ही में आम चुनाव में मुस्लिम बहुल सीटों से तीन हिन्दू उम्मीदवारों की जीत ने इस बात की पुष्टि की है।
अब एक और खबर इस बात पर मुहर लगाती है। द न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक कराची की रहमान कॉलोनी में एक हिंदू मंदिर है, इस मंदिर में आईएचडीएफ (एनजीओ) की ओर से स्कूल चलता है। इस एनजीओ ने स्थानीय लोगों की अनुमति के बाद इस स्कूल को खोला है।
इस टेंपल स्कूल में 93 हिंदू बच्चे पढ़ते हैं। जो बेहद ही गरीब परिवार से आते है। इन बच्चों को मुस्लिम टीचर मुफ्त में पढ़ाते है। शिक्षक बच्चों को केवल आधारभूत कोर्स पढ़ाते हैं. जिसके बाद इन बच्चों को सरकारी स्कूल में भेज दिया जाता है।
टीचरों में से एक अनम कहती हैं, ‘एक मुस्लिम टीचर होने के नाते मेरे लिए यह गर्व की बात है कि हिंदू समुदाय मुझे अपने बच्चों को पढ़ाने दे रहा है।’ अनम साल 2017 से ही इस स्कूल में पढ़ा रही हैं। अनम कहती हैं, ‘बीते साल मुस्लिम शिक्षकों और उनके हिंदू छात्रों ने यहां होली, रक्षाबंधन, दिवाली और अन्य त्योहार साथ मनाए। जब तक हम एक-दूजे को स्वीकार न कर लें, धर्म के आधार पर पैदा हुई दूरी नहीं मिटाई जा सकती।’
वहीं मंदिर के पुजारी रूप चंद कहते हैं कि हिंदू मंदिर मानवता की सेवा करते हैं और यहां सबका स्वागत होता है। वह कहते हैं कि यहां आप अपने अलग धर्म के बावजूद प्रवेश कर सकते हैं क्योंकि यहां कोई प्रतिबंध नहीं है। मंदिर में मुस्लिम अध्यापकों द्वारा हिंदुओं को पढ़ाया जाना विविधता का बड़ा उदाहरण है।
रूप चंद बताते हैं, ‘हमने खुदका स्कूल खोलने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उसके लिए बहुत ज्यादा पैसे मांगे। हमें कहा गया कि स्थानीय हिंदू अतिक्रमण करते हैं और उन्हें यहां स्कूल नहीं खोलने दिया जा सकता है।’ रूप चंद ने अपने समुदाय के लोगों से यह भी मांग की है कि वे स्कूल के समय मंदिर में न आएं। हालांकि, अभी तक इस स्कूल में किताबों और फर्नीचर की भारी कमी है।