इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) ने रविवार को भारत से अनुरोध किया कि वह अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने और देश में ‘इस्लामोफोबिया’ (इस्लाम धर्म के प्रति पूर्वाग्रह) की घटनाओं को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए।
ओआईसी के स्वतंत्र स्थायी मानवाधिकार आयोग (आईपीएचआरसी)ने एक ट्वीट में यह भी कहा कि भारतीय मीडिया मुस्लिमों की नकारात्मक छवि बना रही है और उनके साथ भेदभाव कर रही है। संगठन ने ट्वीट किया, ‘‘ओआईसी-आईपीएचआरसी भारत सरकार से अनुरोध करता है कि वह भारत में बढ़ रहे ‘इस्लामोफोबिया’ को रोकने और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए तुरंत कदम उठाए।’’
इस बारे में विदेश मंत्रालय ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भारत ने मुस्लिम बहुल 57 देशों के संगठन पर हमला करते हुए कहा कि ओआईसी जैसे संगठनों को गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए।
The deliberate & violent targeting of Muslims in India by Modi Govt to divert the backlash over its COVID19 policy, which has left thousands stranded & hungry, is akin to what Nazis did to Jews in Gerrmany. Yet more proof of the racist Hindutva Supremacist ideology of Modi Govt.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) April 19, 2020
बता दें कि इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट किया था, ‘भारत में जिस तरह मोदी सरकार जानबूझकर और हिंसात्मक तरीके से मुस्लिमों को निशाना बना रही है ताकि उसके ऊपर COVID-19 नीति को लेकर सवाल न उठें, जिसकी वजह हजारों लोग भूखे और फंस गए हैं, वह बिलकुल वही है जो जर्मनी में नाजियों ने यहूदियों के साथ किया था। यह मोदी सरकार की हिंदुत्ववादी सोच का सबूत है।’
जिसके जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तानी नेतृत्व की यह ‘अजीबो-गरीब टिप्पणी’ देश (पाकिस्तान) के आंतरिक हालात से ‘निपटने के लचर प्रयासों’ से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कोविड-19 के उन्मूलन पर ध्यान देने की बजाए पाकिस्तानी नेतृत्व अपने पड़ोसियों पर आधारहीन आरोप लगा रहे हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि अल्पसंख्यकों के मामले में उन्हें (पाकिस्तानी नेतृत्व) यही सलाह है कि वे अपने यहां अल्पसंख्यक समुदायों की सुध लें, जिनके साथ वास्तव में भेदभाव हो रहा है।